Uttar Pradesh tops again in the case of e-prosecution portal

*डिजिटल इंडिया मिशन*

नईदिल्ली,05 मार्च (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश लगातार दूसरे साल ई-अभियोजन पोर्टल के माध्यम से सबसे अधिक संख्या में प्रकरणों को दर्ज करने और उनके निस्तारण के मामले शीर्ष पर रहा।

अधिकारिक जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सजा देने की दर को लेकर अग्रणी राज्य बना है।

अपर पुलिस महानिदेशक (अभियोजन) आशुतोष पाण्डेय ने रविवार को बताया कि ई-अभियोजन पोर्टल के जरिये सबसे ज्यादा संख्या में मामले दर्ज करने और उनके निस्तारण में उत्तर प्रदेश वर्ष 2021 के बाद 2022 में भी शीर्ष पर रहा।

अधिकारी ने कहा, हमें 2022 के लिए हाल में जो ट्रॉफी मिली है, उसे जिलों में भी भेजा जाएगा ताकि हमारे अभियोजकों और पुलिस अधिकारियों के अंदर मामलों में सजा सुनिश्चित करने में उनकी कड़ी मेहनत को लेकर गर्व की भावना पैदा हो सके।

उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया मिशन के तहत केंद्र द्वारा प्रबंधित यह पोर्टल इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) के तहत पुलिस विभाग और अभियोजन निदेशालय के बीच संवाद सुनिश्चित करता है।

उन्होंने बताया कि यह पोर्टल अदालतों, पुलिस, कारागारों और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के बीच जानकारी का आदान-प्रदान करता है। इसका उद्देश्य पीडि़तों और उनके परिवारों को समय पर न्याय प्रदान करना है।

पाण्डेय ने बताया कि फरवरी तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में पोर्टल पर 1,11,86,030 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में 29,31,335, बिहार में 11,89,288, गुजरात में 5,16,310 और छत्तीसगढ़ में 4,71,265 मामले दर्ज किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि 2021 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में सजा की दर राष्ट्रीय औसत 26.5 प्रतिशत के मुकाबले 59.1 प्रतिशत थी। अपर पुलिस महानिदेशक ने बताया कि आपराधिक मामलों में सजा सुनिश्चित करने में भी उत्तर प्रदेश ने लगातार सुधार किया है।

बलात्कार के मामलों में, 2020 में 177 की तुलना में 2022 में 671 मामलों में सजा हुई। इसी तरह, पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में जहां वर्ष 2020 में 535 प्रकरणों में सजा दिलाई गई वहीं 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,313 हो गया है।

उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में दहेज हत्या, अपहरण और यौन उत्पीडऩ के मामलों में सजा दिलाने की दर क्रमश: 220 प्रतिशत, 475 प्रतिशत और 2,075 प्रतिशत बढ़ी है।

पाण्डेय ने कहा, हमने समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए अभियोजन पक्ष से संबंधित हर पक्ष को एक साथ लाने की कोशिश की है। ई-अभियोजन पोर्टल इसे सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उन्होंने कहा, हमने सरकारी वकीलों, पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के रवैये को बदलने की कोशिश की है ताकि वे मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए मिलकर काम कर सकें।

वरिष्ठ अधिवक्ता रोहित कांत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधिक मामलों में सजा की दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा, इन मामलों में मुकदमे की अवधि भी कम हो गई है जो अभियोजन पक्ष में शामिल लोगों की मानसिकता में बदलाव का संकेत है।

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