United with Myanmar and Thailand Seva International and Government of India shared effort

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आरएनएस)। म्यांमार और आसपास के क्षेत्रों में आए विनाशकारी 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद, सेवा इंटरनेशनल ने म्यांमार और थाईलैंड में तत्काल राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। यह मानवीय पहल भारत सरकार, म्यांमार में भारतीय दूतावास और स्थानीय साझेदार संगठनों के साथसमन्वय में संचालित की जा रही है।

हजारों प्रभावित परिवारों को भोजन, चिकित्सीय किट्स और आश्रय सामग्री जैसी आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNOCHA के अनुसार, इस आपदा में अब तक 2,800 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, 4,600 से अधिक लोग घायल हुए हैं और लाखों लोगविस्थापित हो चुके हैं।

सेवा इंटरनेशनल के वैश्विक समन्वयक श्री श्याम परांडे ने कहा, “हमारा लक्ष्य पीड़ितों तक समय पर राहत पहुंचाना है। हर आपदा में मानवता और करुणा के साथ प्रतिक्रिया देना हमारा पावन कर्तव्य है। हम म्यांमार में भारतीय दूतावासऔर स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर ज़मीन पर काम कर रहे हैं।”

डॉ. राम निवास के नेतृत्व में सगाइंग, मांडले और नाय पी तॉ जैसे गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय राहत कार्य जारी हैं। प्रतिदिन 4,000 से अधिक गर्मभोजन वितरित किए जा रहे हैं, भारत से 53 बक्सों में जीवनरक्षक दवाइयाँ भेजी गई हैं, और सगाइंग जनरल अस्पताल में रात्रिकालीन सर्जरी के लिए सर्जिकल लाइट्स स्थापित की गई हैं।

श्री परांडे ने आगे कहा, “हर आपदा में हम न केवल अपनी साझी मानवता को पुनः खोजते हैं, बल्किउस शाश्वत भावना को भी जीवित रखते हैं। म्यांमार और थाईलैंड अकेले नहीं हैं भारत करुणा, मित्रता और समर्पण के साथ उनके साथ खड़ा है। सेवा इंटरनेशनल अब तक सूखा राशन किट्स, तिरपाल, जीवनरक्षक दवाइयाँ, सोलर लालटेन और अन्य जरूरी सामग्री उपलब्ध करा चुका है, और यह प्रयास भारत सरकार व स्थानीय संगठनों के सहयोग से लगातार जारी हैं.

आप को बता दे कि सेवा इंटरनेशनल एक सामाजिक मानवीय संगठन है, और प्रवासियों के बीच काम करती है।जो भारत की प्राचीन ‘सेवा’परंपरा – नि:स्वार्थ सेवा – से प्रेरित है। यह संगठन 30 से अधिक देशों में सक्रिय है और आपदा राहत, पुनर्वास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में कार्य करता है। सेवा इंटरनेशनल ने वैश्विक स्तर आपदा प्रबंधन पर कार्य कर रहा है। आप को बता दे कि यूक्रेन संकट के वक्त पांच हजार से अधिक छात्रों को भी वहां से निकाला था।

*******************************