नयी दिल्ली 28 Aug. (Rns/FJ): सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमलेडीवाई) के पात्र लाभार्थियों को सूक्ष्म बीमा योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत कवर करने की घोषणा करते हुये आज कहा कि अब तक जनधन योजना के तहत 46.25 करोड़ खातें खुल चुके हैं और इन खातों में 1.74 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं।
पीएमजेडीवाई के आज आठ वर्ष पूर्ण होने के मौके पर सरकार ने कहा कि इसको लेकर बैंकों को पहले ही सूचित किया जा चुका है और अब पात्र जनधन खाताधारकों को सूक्ष्म बीमा कवर किया जायेगा। देशभर में संबंधित बुनियादी ढांचा तैयार कर पीएमजेडीवाई खाताधारकों के बीच रुपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के साथ ही फ्लेक्सी-आवर्ती जमा आदि जैसे माइक्रो निवेश और माइक्रो-क्रेडिट तक पीएमजेडीवाई खाताधारकों की पहुंच को बेहतर बनाने की तैयारी चल रही है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मौके पर कहा कि वित्तीय समावेशन की अपनी पहलों के जरिए वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा “ वित्तीय समावेशन के माध्यम से हम देश में एक समान और समावेशी विकास को हासिल कर सकते हैं। वित्तीय समावेशन का मतलब है- कमजोर समूहों जैसे निम्न आय वर्ग और गरीब वर्ग, जिनकी सबसे बुनियादी बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं है, उन्हें समय पर किफायती दर पर उचित वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराना।” उन्होंने कहा कि पीएमजेडीवाई इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है, जो वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी। 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस मौके को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति का उत्सव कहा था।
इस वर्ष 10 अगस्त तक पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या: 46.25 करोड़ थी जिसमें से 55.59 फीसदी (25.71 करोड़) जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 66.79 फीसदी (30.89 करोड़) जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। इस योजना के पहले वर्ष के दौरान 17.90 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते खोले गए। पीएमजेडीवाई खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से तीन गुना बढ़कर 10 अगस्त 2022 तक 46.25 करोड़ हो गई है जो वित्तीय समावेशन कार्यक्रम की दिशा में यह एक उल्लेखनीय यात्रा है।
आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी पीएमजेडीवाई खाते में दो साल की अवधि में कोई ग्राहक लेनदेन नहीं करता है तो उस खाते को निष्क्रिय माना जाता है। अगस्त 2022 में कुल 46.25 करोड़ पीएमजेडीवाई खातों में से 37.57 करोड़ खाते 81.2 प्रतिशत चालू हैं। केवल 8.2 प्रतिशत पीएमजेडीवाई खाते शून्य शेष वाले खाते हैं। पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा शेष राशि 1,73,954 करोड़ रुपये है। इन खातों में 2.58 गुना वृद्धि के साथ इनमें जमा होने वाली धनराशि में अगस्त 2015 की तुलना में अगस्त 2022 में लगभग 7.60 गुना वृद्धि हुई है। हर जनधन खाते में औसतन 3,761 रुपये जमा है। अगस्त 2015 की तुलना में हर खाते में औसत जमा राशि में 2.9 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
पीएमजेडीवाई खाताधारकों को जारी किए गए रुपे कार्ड की कुल संख्या: 31.94 करोड़ है। समय के साथ रुपे कार्डों की संख्या और उनके उपयोग में बढ़ोतरी हुई है।
देश में बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंक मित्रों, डाकघरों आदि जैसे बैंकिंग टच प्वाइंट्स का पता लगाने को एक नागरिक केंद्रित प्लेटफार्म प्रदान करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन जनधन दर्शक ऐप का शुभारंभ किया गया। इस ऐप पर आठ लाख से अधिक बैंकिंग टच प्वाइंट्स की मैपिंग की गई है। इस ऐप का उपयोग उन गांवों की पहचान करने के लिए भी किया जा रहा है, जहां 5 किमी के भीतर बैंकिंग टच प्वाइंट्स सेवा नहीं है। इन चिन्हित गांवों को संबंधित एसएलबीसी द्वारा बैंकिंग आउटलेट खोलने के लिए विभिन्न बैंकों को आवंटित किया जाता है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप बैंकिंग सेवा से वंचित रहने वाले गांवों की संख्या में काफी कमी आई है।
बैंकों ने बताया है कि करीब 5.4 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारक विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्त करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को उनका डीबीटी समय पर प्राप्त हो, विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और कई अन्य मंत्रालयों के साथ परामर्श कर डीबीटी की राह में आनेवाली अड़चनों के टाले जा सकने वाले कारणों की पहचान करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
पीएमजेडीवाई के तहत 31.94 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी करने के साथ ही, जून 2022 तक 61.69 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनें लगाई गईं और यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणाली की शुरुआत के साथ, डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 978 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 7,195 करोड़ हो गई है। यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 1.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 4,596 करोड़ हो गई है। इसी प्रकार, पीओएस और ई-कॉमर्स में रुपे कार्ड लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 28.28 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 151.64 करोड़ हो गई है।
पीएमजेडीवाई की 8वीं वर्षगांठ पर श्रीमती सीतारमन ने कहा कि वित्तीय समावेशन समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है जो समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के समग्र आर्थिक विकास को सुनिश्चित करता है। 28 अगस्त 2014 से पीएमजेडीवाई की सफलता 46 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलने और उसमें 1.74 लाख करोड़ जमा होने से स्पष्ट पता चलती है। इसका विस्तार 67 फीसदी ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक हो चुका है और 56 फीसदी जनधन खाताधारक महिलाएं हैं। 2018 से आगे पीएमजेडीवाई के जारी रहने से देश में वित्तीय समावेशन परिदृश्य की उभरती चुनौतियों और आवश्यकताओं को पूरा करने के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय बदलाव आया। उन्होंने कहा कि इन खातों के जरिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रवाह को बढ़ाकर इनके इस्तेमाल पर अतिरिक्त जोर देने के साथ ही, रुपे कार्ड आदि के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर ‘हर घर’ से अब ‘हर वयस्क’ पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा, “पीएमजेडीवाई के बुनियादी उद्देश्यों जैसे, बैंकिंग सेवा से वंचित लोगों को बैंकिंग सेवा से जोड़ना, असुरक्षित को सुरक्षित बनाना और गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण करने जैसे कदमों ने वित्तीय सेवाओं से वंचित और अपेक्षाकृत कम वित्तीय सेवा हासिल करने वाले इलाकों को सुविधा प्रदान की है। साथ ही प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बहु-हितधारकों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना संभव बनाया है।”
वित्त मंत्री ने अपने संदेश में कहा कि खाताधारकों की सहमति से बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबरों से जोड़कर बनाई गई जेएएम पाइपलाइन ने (जो एफआई पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है) सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों को तत्काल डीबीटी के लिए सक्षम बनाया है।’ वित्तीय समावेशन पारिस्थितिकी तंत्र के तहत बनी इस व्यवस्था का लाभ कोविड-19 महामारी के समय देखने को मिला, जब इसने पीएम-किसान के तहत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता की सुविधा प्रदान की और पीएमजीकेपी के तहत महिला पीएमजेडीवाई खाताधारकों को निर्बाध और समयबद्ध तरीके से अनुग्रह राशि का हस्तांतरण संभव हुआ।
श्रीमती सीतारमन ने कहा, “वित्तीय समावेशन के लिए उपयुक्त वित्तीय उत्पादों, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों और डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी संरचना के आधार पर नीतिगत पहलों की आवश्यकता होती है। लोगों के लिए योजना का लक्षित लाभ प्राप्त करने के लिए देश ने पीएमजेडीवाई की शुरुआत से ही इस रणनीति को अपनाया है। मैं सभी क्षेत्रीय कर्मचारियों/पदाधिकारियों को पीएमजेडीवाई को सफल बनाने में उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद देती हूं।”
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने कहा “ पीएमजेडीवाई न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में वित्तीय समावेशन की दिशा में सबसे दूरगामी पहलों में से एक रही है। वित्तीय समावेशन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में एक है क्योंकि यह समावेशी विकास के लिए मददगार है। यह कदम गरीबों को अपनी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक अवसर देता है। यह उन्हें सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने के अलावा अपने परिवारों को धन भेजने का एक विकल्प भी प्रदान करता है।”
डॉ. कराड ने कहा, “पीएमजेडीवाई की आठवीं वर्षगांठ के अवसर पर, हम इस योजना के महत्व को दोहराते हैं। पीएमजेडीवाई सरकार की जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला बन गई है। चाहे वह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का कार्य हो या फिर कोविड-19 संबंधी वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत बढ़ी हुई मजदूरी, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कवर का मामला हो, जिनके लिए पहले कदम के रूप में प्रत्येक वयस्क को एक बैंक खाता प्रदान करना आवश्यक है, पीएमजेडीवाई ने इस काम को लगभग पूरा कर लिया है।”
डॉ. कराड ने कहा, “मुझे विश्वास है कि बैंक समय की मांग के अनुरूप आगे बढ़ेंगे और इस राष्ट्रीय प्रयास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और प्रत्येक वयस्क को सरकार की वित्तीय समावेशन पहल के तहत शामिल करना सुनिश्चित करेंगे।”
प्रधानमंत्री जन-धन योजना वित्तीय सेवाओं यानी बैंकिंग/बचत और जमा खाते, भेजी गई रकम, जमा, बीमा, पेंशन तक किफायती तरीके से पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में वित्तीय समावेशन का एक राष्ट्रीय मिशन है। इसका उद्देश्य सस्ती कीमत पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना तथा लागत कम करने और पहुंच बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।
इस योजना के मूल सिद्धांत में बैंकिंग सेवा से वंचित लोगों को कम से कम कागजी कार्रवाई, केवाईसी में छूट, ई-केवाईसी, कैंप मोड में खाता खोलने, शून्य शेष और शून्य शुल्क के प्रावधान के साथ बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोलना है। इसके साथ ही असुरक्षित को सुरक्षित बनाना जिसमें दो लाख रुपये के मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज के साथ नकद निकासी और मर्चेंट लोकेशन (दुकानों आदि) पर भुगतान के लिए स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करना है। गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण- सूक्ष्म-बीमा, ओवरड्राफ्ट की सुविधा, माइक्रो-पेंशन एवं माइक्रो-क्रेडिट जैसे अन्य वित्तीय उत्पाद प्रदान करना भी शामिल है।
इस योजना की प्रारंभिक विशेषताओं में बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच- शाखा और बीसी। प्रत्येक पात्र वयस्क को 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बचत बैंक खाता। वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम- बचत को बढ़ावा, एटीएम का इस्तेमाल, क्रेडिट के लिए तैयार होने, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाने, बैंकिंग से जुड़े कार्यों के लिए बेसिक मोबाइल फोन के उपयोग को बढ़ावा देना। क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण- बकाया मामले में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करने के लिए। बीमा- 15 अगस्त 2014 से 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खातों पर 1,00,000 रुपये तक का दुर्घटना बीमा और 30,000 रुपये का जीवन बीमा। असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना।
पीएमजेडीवाई जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है। चाहे वह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो, कोविड-19 वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत बढ़ी हुई मजदूरी, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों का पहला कदम प्रत्येक वयस्क को एक बैंक खाता प्रदान करना है, जिसे पीएमजेडीवाई ने लगभग पूरा कर लिया है। मार्च 2014 से मार्च 2020 के बीच खोले गए दो में से एक खाता पीएमजेडीवाई खाता था। देशव्यापी लॉकडाउन के 10 दिनों के भीतर लगभग 20 करोड़ से अधिक महिला पीएमजेडीवाई खातों में अनुग्रह राशि जमा की गई।
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