Those who never took part in freedom are beating them up Akhilesh Yadav

लखनऊ ,07 अगस्त (आरएनएस/FJ)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आव्हान पर उत्तर प्रदेश में हर घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताते हुए स्वेच्छा से प्रत्येक नागरिक से खादी का बना तिरंगा फहराने के लिए कहा है।

अखिलेश यादव ने कहा है कि इतिहास में इन तिथियों का विशेष महत्व है। 8 अगस्त 1942 की रात में बंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ों’ के प्रस्ताव के साथ ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया था। गांधी जी ने कहा था या तो अब हम आजाद होंगे या फिर अपना बलिदान दे देंगे। अंग्रेजों ने क्रूर दमनचक्र चलाते हुए 9 अगस्त 1942 से गिरफ्तारियां शुरू कर दी थी।

अंग्रेज सोचते थे कि वे दमन से आजादी की आवाज को दबा देंगे। लेकिन पहले से सतर्क समाजवादी नेताओं ने आंदोलन की कमान अपने हाथ में लेकर आंदोलन को देशव्यापी बना दिया। जयप्रकाश नारायण, डॉ0 राममनोहर लोहिया, और अरूणा आसफ अली के साथ ऊषा मेहता आदि ने आजादी के लिए जो अलख जगाई उसके फलस्वरूप ही 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिल सकी।

आजादी के इस महान यज्ञ में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की उपेक्षा की जा रही है। खेद की बात है कि इतिहास को विशेष दृष्टिकोण से बदलने की साजिशें हो रही है। वे लोग जिनका संबंध आरएसएस से रहा तथा जिन्होंने कभी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा भी नहीं लिया, आज आजादी के 75वें साल में आजादी का अमृत महोत्सव का ढिंढोरा पीट रहे है। आजादी के 75वें वर्ष में देश और प्रदेश की राजनीति में बहुत उतार-चढ़ाव आया हैं।

सत्ता में आई भाजपा ने स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों एवं आदर्शों को भुला दिया है। गांधी जी राजनीति को जनसेवा का माध्यम मानते थे। इसकी शुचिता के लिए साध्य साधन की पवित्रता पर जोर देते थे। आज की राजनीति सत्ता पाने और सत्ता का उपभोग करने का माध्यम बन गई है। इसलिए भाजपा की चालबाजी से हमें सावधान रहना होगा। यह अवसर भारतीय संविधान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने का भी है।

समाजवादी पार्टी गांधी जी, डॉ0 राममनोहर लोहिया और डॉ0 अम्बेडकर के निर्धारित आदर्श मानकों को अपनाते हुए गांव-गरीब को प्राथमिकता में रखकर चल रही है। अन्याय और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रही है। समाजवादी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए जनकल्याण को सर्वोपरि रखकर योजनाओं को साकार किया।

आज भी वह समाजवाद, लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है और संविधान की उद्देशिका को सम्मान देती है। राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के साथ हमें उन संकल्पों को भी दुहराना होगा जिनको सार्थक करने के लिए लाखों लोगों ने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया था।

हजारों लोगों ने जेल की क्रूर यातनाएं झेली थी और कितने ही वीर सपूत हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे।

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