There should be a complete ban on the manufacture, storage and sale of firecrackers in NCR within a month Supreme Court

नई दिल्ली ,06 मई (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पटाखे जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में पटाखों के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब एनसीआर में शामिल अन्य राज्यों को एक महीने के भीतर प्रतिबंध लगाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आतिशबाजी की स्थिति में शिकायत निवारण और शिकायत तंत्र बनाना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) की धारा पांच के तहत यह निर्देश जारी किए हैं, ताकि जुर्माना लगाया जा सके और अन्य राज्यों को भी इसका पालन करना चाहिए।

जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि हमने दिल्ली तथा एनसीआर में पटाखों के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध के मामले में सुनवाई के दौरान तीन अप्रैल को आदेश जारी कर निर्देश दिए थे।

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि पटाखों का निर्माण, भंडारण आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।

कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर हम एनसीआर के क्षेत्रों में राजस्थान, यूपी और हरियाणा को ईपीए की धारा 5 के तहत इसी तरह के निर्देश जारी करने का निर्देश देते हैं और इसे एक महीने के भीतर जारी किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 3 अप्रैल को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को सही ठहराया था। अदालत ने कहा था कि जब तक यह स्पष्ट रूप से साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से जीरो प्रदूषण होता है, तब तक प्रतिबंध के पुराने आदेश में बदलाव करने का कोई औचित्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा था कि स्वच्छ वातावरण में जीना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरों को देखते हुए पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हर व्यक्ति एयर प्यूरीफायर नहीं खरीद सकता और सड़कों-गलियों में काम करने वाले लोगों पर प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

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