The world is moving towards the third world war due to anger and jealousy, religious leader Dalai Lama made a big claim

नई दिल्ली 31 Dec, (एजेंसी) : तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि अहंकार, क्रोध और ईर्ष्या के कारण दुनिया दो विश्व युद्ध झेल चुकी हैं और तीसरे की तैयारी में हैं। यह चिंतन का विषय है। विध्वंसकारी शक्तियों से स्वार्थी प्रवृत्ति जन्म लेती है। इसके प्रभाव में हम युद्धों और संघर्षों में उलझ कर एक दूसरे को मारते और नुकसान पहुंचाते हैं। उक्त बातें कालचक्र मैदान में प्रवचन के दौरान दूसरे दिन दलाई लामा ने यह बात कही और मानव जाति को इसके खतरों से अवगत कराया।

इन दिनों ज्ञान की भूमि बोधगया में आस्था का सैलाब बह रहा है। तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा बौद्ध अनुयायियों के आध्यात्मिक मार्ग दर्शन कर रहे हैं। विशेष शैक्षणिक सत्र के दूसरे दिन दलाई लामा ने अनुयायियों को बोधिसत्व और स्वार्थी चित से होने वाले नुकसान को समझाया। उन्होंने कहा अगर आपके अंदर शांति होगी तभी आप अपने आसपास शांति पैदा कर सकेंगे। मानवता की एकता पर दिया बल दलाई लामा ने मानवता की एकता पर बल दिया। दलाई लामा ने कहा कि अरबों मनुष्यों की एकता की अवधारणा की आवश्यकता है कि सभी एक जैसे हैं। उन्होंने अहंकारी व्यवहार का खंडन किया, जो हिंसा और घृणा को प्रोत्साहन देता है।

विशेष शैक्षणिक सत्र के दूसरे दिन दलाई लामा ने समस्त मानव जीवों के कल्याण के लिए प्रार्थना की। उन्होंने यह समझाने का प्रयास किया कि जीवन क्या है और इसकी खूबसूरती क्या है, इसका हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग अर्थ हैं। जीवन का मकसद समझना और इसे सही ढंग से जीना, सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए बोध चित और शून्यता का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि करुणा का करुणा के बिना मनुष्य का अस्तित्व संभव नहीं है। प्रसन्नता कहीं बाहर से नहीं आती। यह आपके अपने कर्मों से ही पैदा होती है।

उन्होंने कहा कि पुण्य कर्म करने में जल्दी करें और पाप कर्म करने से चित्त को हटाएं। क्लेश का नष्ट करने से ही चित्त निर्मल और स्वाभाविक होता है। जिस व्यक्ति का मन शांत होता है उसकी वाणी और कर्म भी अच्छे होते हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध ग्रंथों को पढ़ें, मनन करें और उन्हें जीवन में उतारकर जीवन को कल्याणकारी बनाएं।

दलाई लामा ने कहा किसी मसले को युद्ध से सुलझाना पुराना तरीका हो चुका है, अब अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है। हमें मानवता में एकता की भावना विकसित करनी चाहिए। इन प्रयासों से हम ज्यादा शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण कर सकेंगे उन्होंने कहा कि समस्याओं और असहमति को बातचीत के माध्यम से सबसे अच्छा हल किया जाता है। किसी भी देश में शांति आपसी समझ और दूसरों के प्रति भलाई की भावना से आती है। कहा कि सभी धर्म सभी करुणा और अहिंसा सिखाते हैं। उन्होंने सभी वर्गों के लोगों के बीच सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए धर्मनिरपेक्ष विचारों को अपनाने का आह्वान किया है।

हर कोई शांति की बात करता है मगर यह शांति आसमान से नहीं टपकेगी, मन के भीतर से ही शांति पैदा होगी। अगर हम में दूसरों के कल्याण की भावना पैदा हो जाए तो आपका मन अपने आप शांत और खुश हो जाएगा। इसी पर शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य भी निर्भर करता है। इन महत्वपूर्ण सिद्धांतों के माध्यम से हम अपनी स्वार्थी प्रवृत्ति से मुक्ति पा सकते हैं। धर्मगुरु दलाई लामा ने प्रवचन के दौरान दुनिया में हो रहे युद्ध और खून खराबे पर घोर दुख जताया।

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