नई दिल्ली , 29 जून (एजेंसी)। राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर निशाना साधते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी जिस जिद्द के साथ गए वह ‘जिद्द’ उचित नहीं, बल्कि ऐसी स्थिति में उन्हें थोड़ी जागरुकता और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।
पात्रा ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इस नाते राहुल जी के मणिपुर जाने पर उन्हें किसी ने रोका नहीं, लेकिन मणिपुर प्रशासन ने राहुल गांधी से एक नम्र निवेदन किया था कि विगत 2-3 दिनों से, जब से उनके मणिपुर आने की खबर वहां के स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स व अख़बारों में आ रहे थे, तब से उनके आने का विरोध किया जा रहा था। राहुल गांधी के मणिपुर जाने से पहले वहां की ऑल मणिपुर स्टूडेंट यूनियन ने राहुल गांधी के विजिट को बायकॉट करने की मांग की थी और अपने बायकॉट के विस्तृत कारण भी इन्होंने गिनाए थे।
कई सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन ने भी आह्वान किया था कि राहुल गांधी मणिपुर आकर यहां चिंगारी भड़काने का काम न करें। मणिपुर की कई महिला संगठनों ने भी राहुल गांधी के दौरे के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थीं. फिर भी, राहुल गांधी नहीं माने और मणिपुर चले गए. आज मणिपुर में जो कुछ हो रहा है, वो आज के नहीं, बल्कि विरासत के मुद्दे के कारण है, जिसमें कांग्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए उन मुद्दों पर चर्चा करना अभी उचित नहीं होगा
संबित पात्रा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जब मणिपुर दौरे पर गए थे, तो वहां का जायजा लेने के लिए उन्होंने वहां के तीन स्थानों- चुड़ाचांदपुर, मोरे और कांगपोकपी के लिए हेलीकाप्टर सेवा ली थी। आज जब राहुल गांधी इम्फाल हवाई अड्डे पर उतरे, उससे पूर्व वहां के प्रशासन द्वारा राहुल गांधी और उनके दफ्तर को सूचित कर निवेदन किया गया। मणिपुर सरकार ने राहुल जी से निवेदन किया की आप चुड़ाचांदपुर जाना चाहते हैं, तो वहां जाकर राहत शिविरों का जायजा ले सकते हैं, लेकिन सड़क पर कुछ लोग आपके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, आपकी सुरक्षा और स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए उचित होगा कि हेलीकाप्टर के माध्यम से चुड़ाचांदपुर जाएं. लेकिन राहुल जी नहीं माने, उन्हें मोहब्बत की दुकान खोलने की जल्दी थी।
अतः बिना सलाह- मशविरा किये, जिद्द करते हुए राहुल गांधी निकल पड़े और जिसका अंदेशा था, वही हुआ। लोग राहुल गांधी के विरोध में सड़कों पर उतर आए और ‘राहुल गो बैक’ के नारे लगाने लगे। लोग सवाल भी पूछते नजर आये कि आखिर कांग्रेस ने अपने शासन काल में इतनी गलतियां क्यों कीं, जिसका समाधान आज तक नहीं हो पाया है। भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए वहां के प्रशासन द्वारा राहुल गांधी को रोका गया और विष्णुपुर शहर से उन्हें वापस लौटना पड़ा। यही काम राहुल गांधी पहले किये होते, प्रशासन के निर्देशों का पालन करते तो उनके जाने के बाद इम्फाल में जो तनावपूर्ण स्थिति बनी, वो नहीं होती।
राहुल गांधी का यह व्यवहार बेहद गैर-जिम्मेदाराना था और राहुल गांधी से एक जिम्मेदार नेता की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती क्योंकि राहुल गांधी और जिम्मेदारी एक साथ नहीं चल सकते। 13 जून से मणिपुर के हालात सुधरे थे, इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी थी, लेकिन सुबह वहां एक नागरिक की मौत हो गयी, जो बेहद दुखद है। मणिपुर की स्थिति अब जब नियंत्रण में है, तब तुच्छ राजनीति के माध्यम से यदि माहौल बिगाड़ने कोशिश की जाती है, तो यह उचित नहीं है.
****************************