अब दूर नहीं बादशाहत! देश में मिले लिथियम भंडार के खनन में मदद करेगा चिली

जम्मू 03 April (एजेंसी): चिली सबसे अधिक लिथियम भंडार वाला देश और दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक लिथियम उत्पादक कंपनी एसक्यूएम का घर है। अब देश भारत के साथ लिथियम के खनन करने के लिए साझेदारी करने का इच्छुक है। इसके चलते चिली की ओर से टेक्निकल एक्सपर्ट्स मुहैया कराए जा सकते हैं ताकि आसानी से लिथियम का भंडार निकाला जा सके। जम्मू-कश्मीर में इसी साल की शुरुआत में 59 लाख टन लिथियम के विशाल भंडार के बारे में जानकारी मिली थी। सफेद सोना कहे जाने वाले लिथियम भंडार के मिलने को भारत के लिए बड़ी उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है।

लिथियम का इस्तेमाल बैटरियों में होता है। इस तरह यदि लिथियम के इस भंडार का इस्तेमाल होता है तो फिर भारत में इलेक्ट्रिक कारों को तैयार किया जा सकेगा। खासतौर पर चीन समेत कई अन्य देशों से आयात पर निर्भरता में बड़ी कमी आएगी। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में मिले इस भंडार से राज्य के विकास को लेकर भी उम्मीदें जगी हैं। चिली के विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी जनरल एलेक्स वेट्जिग ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘यदि भारत सरकार औपचारिक तौर पर संपर्क करती है तो हम तैयार हैं।’

उन्होंने शुक्रवार को ही भारतीय विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। इलेक्ट्रिक वीकल्स की बैटरियों में लिथियम का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में होता है। इसके अलावा लैपटॉप और मोबाइल फोन्स में भी इनका यूज किया जाता है। यदि लिथियम बैटरी भारत खुद ही तैयार करने में सफल हो जाता है तो इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा हिस्सा बैटरी ही होता है। इस लिहाज से लिथियम का भंडार मिलने को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चमत्कार के तौर पर देखा जा रहा है।

लिथियम के लिए भारत अब तक ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसे देशों पर निर्भर था। माना जाता है कि डीज़ल और पेट्रोल गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण कम करने की दिशा में ये बेहद महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ने तो 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी में बड़ा इजाफा करने का भी फैसला लिया है। इस लिहाज से लिथियम भारत की तैयारियों के लिहाज से भी अहम है। गौरतलब है कि चिली के पास दुनिया का 48 फीसदी लिथियम भंडार है।

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