कोलकाता 12 जुलाई (एजेंसी)। बंगाल के पंचायत चुनाव में देखा जाए तो तृणमूल ने एक तरह से एकछत्र कब्जा कर एक बार फिर से साबित कर दिया कि बंगाल में ममता बनर्जी के सामने दूर-दूर तक कोई नहीं है। विपक्ष यानी भाजपा की बात करे तो साफ कहें तो भाजपा के दिग्गजों के चेहरे का असर उनके क्षेत्रों बेअसर ही रहा। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ऐसे क्षेत्रों में भी जीती है जहां 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का बड़ा जनाधार रहा है। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के लिए बेहतर संकेत नहीं माना जा रहा है।
ऐसा ही क्षेत्र है उत्तर बंगाल का कूचबिहार। यहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का दबदबा है। ग्राम पंचायत हो या पंचायत समिति व जिला परिषद, हर जगह तृणमूल ने जीत दर्ज की है। यह केंद्रीय मंत्री निशित प्रमाणिक के प्रभाव वाला इलाका है। यहां लोकसभा व विधानसभा में भी तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद यहां भाजपा को बढ़त मिली थी।
इस बार यहां तृणमूल कांग्रेस की जीत ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। यहां से ममता बनर्जी के कैबिनेट में सहयोगी रहे उदयन गुहा ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पूरे उत्तर बंगाल में तृणमूल ने शानदार प्रदर्शन किया है।बांग्लादेश के शरणार्थी समुदाय मतुआ बहुल इलाके में भी इस बार भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है।
केंद्रीय मंत्री और बनगांव से भाजपा के सांसद शांतनु ठाकुर के बूथ पर भी तृणमूल कांग्रेस का परचम लहराया है। यहां तक कि यहां से भाजपा विधायक सुब्रत ठाकुर के गढ़ में भी तृणमूल की जीत हुई है। यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को खूब वोट मिले थे। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष के घर के पास मतदान केंद्र में भी तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई है।
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