Teachers should be role models for students, make morning assembly a part of the curriculum CM Yogi

*मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस पर प्रदेश भर से चयनित 94 शिक्षकों का किया सम्मान*

*सीएम ने 2.09 लाख टैबलेट वितरण कार्यक्रम के साथ ही 18,381 स्मार्ट क्लास व 880 आईसीटी लैब का भी किया शुभारंभ*

*हमारे शिक्षकों का योगदान हमारे व्यक्तित्व के निर्माण और चुनौतियों से लडऩे के लिए देता है प्रेरणा: सीएम*  

*उत्कृष्ट कार्य के माध्यम से दूसरों के लिए प्रेरणा बने शिक्षकों को सम्मानित कर हो रही है प्रसन्नता की अनुभूति: योगी*

*एक शिक्षक अपने कार्य और व्यक्तित्व से भी आदर्श दिखे, तभी समाज के मन में पैदा होगा श्रद्धा का भाव: मुख्यमंत्री*

लखनऊ, 5 सितंबर(एजेंसी)।  वर्तमान पीढ़ी को बनाने के लिए जितनी मेहनत हो सकती है वो करें। मॉर्निंग असेंबली को नियमित रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं। नए सिरे से पीढिय़ों को बनाने का कार्य आप कर रहे हैं। जो पीढिय़ां बनेंगी, वो जीवन भर आपको याद करेंगी। यदि हमारे शिक्षक नहीं होते तो आज हम यहां तक नहीं पहुंच पाते, आगे नहीं बढ़ पाते। हमारे शिक्षकों का योगदान हमारे व्यक्तित्व के निर्माण और चुनौतियों से लडऩे के लिए प्रेरणा देता रहा। वे सुविधाभोगी नहीं थे। वो अल्प संसाधनों में, कम वेतन में कार्य करते थे। उन्होंने उस समय जो मेहनत की तब जाकर आज पीढिय़ां बनीं और यही कार्य आप भी कर सकते हैं। आप भी अपने छात्रों के लिए वंदनीय बन सकते हैं। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित 94 शिक्षकों का सम्मान करते हुए कहीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 2.09 लाख टैबलेट वितरण कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया। साथ ही उन्होंने प्रदेश में 18,381 स्मार्ट क्लास व 880 आईसीटी लैब का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर सीएम योगी ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित की। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से सीएम योगी ने 6 बेसिक शिक्षा एवं 6 माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया। सम्मान राशि 25000 रुपए उनके खाते में पहले ही भेजी जा चुकी है।

*उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों का किया जा रहा सम्मान*

सीएम योगी ने कहा कि एक शिक्षक की भूमिका के बारे में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्पष्ट कहना था कि वह राष्ट्र निर्माता है। प्राचीन काल से ही भारत ने अपने शिक्षकों की इस परंपरा को मान्यता दी है। सम्मान के साथ श्रद्धापूर्वक समाज में विशिष्ट स्थान देने का कार्य किया। समय के अनुरूप दोनों पक्ष सामने आते गए। एक पक्ष जो इसका उज्जवल पक्ष था। यह वो पक्ष है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वर्तमान पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हुए राष्ट्र की नींव को सुदृढ़ करते हुए एक राष्ट्र निर्माता के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। दूसरा कृष्ण पक्ष है, जब ट्रेड यूनियन की तरह कोई शिक्षक विद्यालय कार्यों से विरत होकर दिन भर शिक्षा अधिकारियों के घर में या उनके कार्यालयों में बैठकर के अपनी वर्तमान पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है तो उसका कृष्ण पक्ष भी समाज को देखने को मिलता है। समाज भी उस व्यक्ति को संदेह की निगाह से देखता है। इन दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा जगत की वर्तमान समस्याओं को समाधान की तरफ बढ़ाने का कार्य हमें करना होगा। प्रसन्नता है कि आज प्रदेश के उन 94 शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में कुछ यूनीक कार्य किया है। उनका कार्य दूसरों के लिए प्रेरणा बना है, उन्हें सम्मानित करते हुए प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।

*टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अब कोई आपका मुकाबला नहीं कर पाएगा*

सीएम योगी ने शिक्षकों से कहा कि समाज और राष्ट्र के निर्माता के रूप में आपकी भूमिका को आगे बढ़ाने और वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित करने की एक बड़ी जिम्मेदारी आपको दी गई है। अगर हम समय के अनुरूप नहीं चलेंगे तो फिर समय हम सबको पीछे धकेल देगा। हम अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर समाज को दिशा दें, इस भूमिका के साथ हम सबको स्वयं को तैयार करना होगा। दूरदर्शिता के साथ हमें आगे बढऩा होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कोरोना कालखंड के दौरान लागू हुई। इससे जुड़े हुए अनेक कार्यक्रम लागू किए गए। प्रसन्नता है कि आज इसी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में 2.09 लाख टैबलेट वितरित करने का कार्यक्रम शुरू हुआ है। यानी हर विद्यालय को दो-दो टैबलेट मिलेंगे। इनके उपयोग से विद्यालयों में नए-नए कंटेंट के बारे में जानकारी मिलेगी और विद्यालयों की गतिविधियों से संबंधित जानकारी भी इसके माध्यम से अपलोड करने में मदद मिल पाएगी। यह बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा शुरू किया गया बड़ा अभियान है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अब कोई आपका मुकाबला नहीं कर पाएगा। जब टैबलेट आपके हाथ में होगा तो लोगों को विश्वास होगा कि बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक भी हर प्रकार से पारंगत हैं।

*हर विद्यालय में जरूर हो खेल का मैदान*

सीएम योगी ने कहा कि 880 आईटीसी लैब्स के साथ ही 18381 उच्च प्राथमिक और कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास का भी शुभारंभ हो रहा है। स्मार्ट क्लास केवल उच्च प्राथमिक विद्यालय और कस्तूरबा गांधी विद्यालय तक सीमित न रहे, बल्कि प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में भी इसको उपलब्ध करवाने की दिशा में कार्य करें। पुरातन छात्रों से, गांव से जुड़े लोगों से, शिक्षा विभाग और प्रशासन से जुडे अधिकारियों से या जनप्रतिनिधियों से कह देंगे तो स्मार्ट क्लास की स्थापना में कोई समस्या नहीं होगी। ये स्मार्ट क्लास उन विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने आ रहे बच्चों की सोच को एक नई ऊंचाई और दिशा देगी। चित्रकूट में इस बात को स्वयं महसूस किया। वहां एक स्मार्ट क्लास देखी। एक तीसरी क्लास की बच्ची से पूछा तो उसने संचालित करके दिखा दिया। वह कोल जनजाति की बच्ची थी। सीएम योगी ने कहा कि ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से जिन विद्यालयों में हजारो करोड़ रुपए लगे, आज वो विद्यालय दर्शनीय दिखते हैं। बाकी बचे जो विद्यालय हैं उनके प्रधानाचार्यों से, शिक्षकों से और ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों से कहूंगा कि प्राथमिकता के आधार पर उन विद्यालयों को ऑपरेशन कायाकल्प से जोड़कर इस वर्ष इस पूरे कार्यक्रम को संपन्न करें। हर विद्यालय में खेल का मैदान जरूर हो, इसके लिए हमें ग्राम पंचायत की भूमि का उपयोग करना होगा।

*अपने कार्यों और व्यक्तित्व से भी आदर्श दिखें शिक्षक*  

ऐसे ही माध्यमिक शिक्षा से जुड़े विद्यालयों को भी इस तरह के कार्यक्रमों से जोडऩे की आवश्यकता है। प्रोजेक्ट अलंकार के तहत जितने भी पुराने विद्यालय हैं, उनका कायाकल्प करना होगा। मौन खड़े रह करके अपने संसाधनों से उन्होंने भारत की पूर्व पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी को बनाने में योगदान दिया है। ये संसाधन नहीं होते तो कैसे देश आजादी की लड़ाई लड़ता, कैसे देश उस पीढ़ी को पढ़ा पाता। वो पीढ़ी भी इसको भूल गई और बचा खुचा ट्रेड यूनियन ने उसको नष्ट कर दिया। लखनऊ में ही एक दिन एक विद्यालय गया। विद्यालय भवन उतना बड़ा नहीं था, जितने बड़े उसमें पेड़ उगे हुए थे। ये बड़ी विचित्र स्थिति है। विद्यालय में उगा हुआ पेड़ वहां की अकर्मण्यता को प्रकट करता है। विद्यालय में जाले न दिखाई दें, कहीं धूल न हो, प्लास्टिक का उपयोग न हो, कोई गुटका, तंबाकू स्कूल में सेवन न कर सके, इस प्रकार की भावना आनी चाहिए। एक शिक्षक अपने कार्यों और व्यक्तित्व से भी आदर्श दिखना चाहिए। एक शिक्षक के रूप में विद्यालय पहुंचने पर आपकी कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं। यदि विद्यालय 9 बजे खुलना है तो छात्र पौने 9 बजे तक और शिक्षक उससे भी आधे घंटे पहले विद्यालय पहुंचें। प्रधानाचार्य का दायित्व बनता है कि वो शिक्षकों से भी 15 मिनट पहले पहुंचें। जब यह प्रवृत्ति आप तय करेंगे तब आप विद्यालय के विषय में सोच पाएंगे।

इस अवसर पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह, माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक दीपक कुमार एवं अन्य अधिकारी व शिक्षक उपस्थित रहे।

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