Tapas UAV made with indigenous technology took flight

नई दिल्ली 18 जून,(एजेंसी)। तपस यूएवी ने भारतीय नौसैनिक अड्डे से उड़ान भरने के बाद सफलतापूर्वक एवं सुरक्षित वापसी की है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित तपस यूएवी का निर्माण डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने किया है। इस वर्ष बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया शो के दौरान भी तपस यूएवी ड्रोन का प्रदर्शन किया गया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस ड्रोन की प्रशंसा की थी। रविवार को दी गई एक जानकारी में डीआरडीओ ने बताया कि भारतीय नौसेना के साथ मिलकर आईएनएस सुभद्रा पर एक दूरस्थ ग्राउंड स्टेशन से तपस यूएवी की कमांड और कंट्रोल क्षमताओं को स्थानांतरित करने का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

तपस यूएवी का यह प्रदर्शन ऐसे समय में किया गया है जब रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस प्रीडेटर ड्रोन की खरीद को स्वीकृति दे दी है।

डीआरडीओ ने संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि तपस ने 07.35 बजे एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर), चित्रदुर्ग से उड़ान भरी, जो कारवार नौसैनिक अड्डे से 285 किमी दूर है। भारतीय तकनीक पर आधारित इस यूएवी को नियंत्रित करने के लिए आईएनएस सुभद्रा में एक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) और दो शिप डेटा टर्मिनल (एसडीटी) स्थापित किए गए थे। परीक्षण के बाद तपस सटीकता के साथ एटीआर में वापस उतरा।

बेहतरीन भारतीय टेक्नोलॉजी पर आधारित तपस, मेल श्रेणी का ड्रोन है। भारत ड्रोन विकसित कर रहा है, इसका एक बड़ा उद्देश्य यह है कि किसी भी संघर्ष की स्थिति में विरोधी को पछाडऩे के लिए भारत घरेलू स्तर पर बनाए गए ड्रोन चाहता है।

इस वर्ष के एयरो इंडिया शो के दौरान तपस ड्रोन का प्रदर्शन किया गया था। तपस का पूरा नाम टेक्टिकल एयरबॉर्न प्लेटफॉर्म फॉर एरियल सर्विलांस है। तपस ड्रोन केवल सीमाओं पर निगरानी रखने ही नहीं, बल्कि दुश्मनों पर हमला करने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। तपस ड्रोन की खूबियों की बात करें, तो यह 28 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे से ज्यादा की उड़ान भर सकता है। तपस एक मीडियम एल्टीट्यूट लॉन्ग-इंड्यूरेंस ड्रोन है। तपस अपने आप ही टेकऑफ और लैंड करने की क्षमता रखने वाला ड्रोन है।

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