Supreme Court stays HC's decision in Mumbai train blast case, release of 12 convicts postponed

नई दिल्ली 24 Jully (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी): 2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 12 दोषियों को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

महाराष्ट्र सरकार और आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह अंतरिम रोक लगाई। इस फैसले के बाद अब दोषियों की जेल से रिहाई टल गई है।

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सात सिलसिलेवार बम धमाकों में 187 लोगों की जान चली गई थी और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद 2015 में एक विशेष मकोका अदालत ने 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को मौत की सजा और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

लेकिन इसी हफ्ते 21 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है।

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने गुरुवार को सुनवाई की।

सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि हाईकोर्ट ने एक आरोपी से RDX की बरामदगी को बेहद “तकनीकी आधार” पर खारिज कर दिया। दलील दी गई कि जब्त विस्फोटक को सुरक्षा कारणों से सील नहीं किया गया था, क्योंकि RDX अत्यधिक ज्वलनशील होता है।

सरकार ने यह भी कहा कि मामले में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए मंजूरी दी गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने नजरअंदाज कर दिया।

इन दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सभी आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील पर नोटिस जारी किया है।

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