नई दिल्ली 29 मार्च (एजेंसी)। बिहार भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बनाए जाने के बाद यूपी सह प्रभारी सुनील ओझा को बनाया गया। बिहार में महागठबंधन की सरकार है भाजपा राज्य में अपना संगठन मजबूत करने की दिशा में संगठन में काफी बदलाव कर रही है।
गृह मंत्री अमित शाह का आए दिन बिहार में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी है क्योंकि मूल रूप से गुजरात के रहने वाले सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं और वाराणसी में उनके संसदीय क्षेत्र की भी जिम्मेदारी संभालते हैं।
ओझा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत गुजरात के भावनगर से की थी। वह दो बार भाजपा के टिकट पर भावनगर से विधायक भी चुने गए पर जब 2007 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए। इसके बाद से उनके और मोदी के बीच दूरियां बढ़ गईं।कहते हैं कि उस वक्त गुजरात के सीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था और इस अभियान को लेकर ही सुनील ओझा मोदी से नाराज हो गए थे।
भाजपा छोड़ने के बाद सुनील ओझा ने महागुजरात जनता पार्टी नाम से अलग पार्टी भी बना ली थी, हालांकि बाद में 2011 में वह एक बार फिर मोदी के करीब आ गए। उन्हें गुजरात भाजपा का प्रवक्ता बना दिया गया।
जब 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो सुनील ओझा, अरुण सिंह और सुनील देवधर को चुनाव की जिम्मेदारी संभालने के लिए भेजा गया।बनारस से सटे पर मिर्जापुर जिले में पड़ने वाले गड़ौली धाम आश्रम की शुरुआत ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन ने की थी।
सुनील ओझा इसके अगुआ हैं। यह फाउंडेशन पहली बार कोविड की दूसरी लहर के वक्त तब चर्चा में आया था, जब उसके कार्यकर्ताओं ने लोगों को घर-घर खाना पहुंचाना शुरू किया था।
इसके बाद सुनील ओझा ने मिर्जापुर में गंगा नदी के किनारे 20 बीघा जमीन खरीदी और उस पर आश्रम का निर्माण शुरू किया। आश्रम में बालेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है तो यहां गौरी शंकर की 108 फुट की प्रतिमा लगाने की भी तैयारी की जा रही है
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