Restoration of monastery-temple and ponds in Ayodhya

रामराज्य का सपना हो रहा साकार

अयोध्या 21 Oct, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । धरती पर साक्षात साकेत धाम, सूर्यवंश की राजधानी, सप्तपुरियों में अग्रणी नगरी तथा वैवस्वत मनु के साम्राज्य की राजधानी जैसे विशिष्ट अलंकार भले ही रामनगरी अयोध्या को प्राप्त हैं, मगर उसके मौजूदा स्वरूप और 2017 के पहले के स्वरूप में जमीन-आसमान का फर्क था।

यू्ं तो अयोध्या के कण-कण में राम बसते हैं, मगर 500 वर्षों के पराभव काल ने अयोध्या को अपमान, अपयश, उपेक्षा और तिरस्कार के अलावा कुछ नहीं दिया। अयोध्या के त्रेतायुगीन वैभव की साक्षी रही सरयू की निर्मल जलधारा आज जिस तरह कल-कल करते हुए बह रही है, वह वर्ष 2017 के पहले घोर उपेक्षा की शिकार थी।

राम की पैड़ी हो, सूर्य कुंड हो, दशरथ महल हो या फिर प्रभु श्रीराम से जुड़े अन्य स्थल, सभी की हालत जर्जर हो चुकी थी। मगर, 2017 में सीएम योगी द्वारा प्रदेश की सत्ता की कमान संभालते ही अयोध्या में विकास के नए ‘आदित्य का उदय’ प्रारंभ हुआ।

प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या के वृहद कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त किया। रामनगरी के कोने-कोने में तीव्र गति से सौंदर्यीकरण व विकास की विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। आज अयोध्या अपने प्राचीन वैभव के संरक्षण के साथ ही आधुनिक शहरी विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रही है, तो इसके पीछे साफ तौर पर डबल इंजन सरकार की इच्छा शक्ति है, जो कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन और सीएम योगी के कुशल क्रियान्वयन से संभव हो सका है।

योगी सरकार ने सबसे पहले अयोध्या के मठ मंदिरों की सुधि ली। 68 करोड़ की लागत से उनका सौन्दर्यीकरण कराया जा रहा है। इनमें जानकी घाट, बड़ा स्थान, दशरथ भवन मंदिर, मंगल भवन, अक्षरी मंदिर, राम कचेहरी मंदिर, सियाराम किला, दिगम्बर अखाड़ा, तुलसी चौराहा मंदिर, भारत किला मंदिर, हनुमान मंदिर, कालेराम मंदिर, नेपाली मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, छोटी देवकाली मंदिर, मौर्य मंदिर, राम गुलेला मंदिर, करतलिया बाबा मंदिर, तिवारी मंदिर, वेद मंदिर, मणिराम दास छावनी मंदिर, बरेली मंदिर, रंग महल मंदिर, टेढ़ीयाती महादेव मंदिर, राम पुस्तकालय मंदिर, विद्या देवी मंदिर, देवीकाली कुण्ड मंदिर, रत्न सिंहासन मंदिर सहित पौराणिक मंदिर/आश्रमों व कुंड शामिल हैं।

साकेत सदन को बिल्डिंग को रिपेयर किया जा रहा हैं। इसमें सिर्फ चूने व सुर्खी का प्रयोग किया जा रहा हैं। जिस रूप में पहले बिल्डिंग थी, पुनः उसी रूप में लाने का प्रयास किया जा रहा। पार्क का भी कायाकल्प होना हैं। इस परियोजना की लागत 1682.87 लाख रुपये है।

2017 के पहले की सरकारों में इन मठ मंदिरों को कोई पूछने वाला नहीं था। जगह-जगह गंदगी का ढेर लगा रहता था व पुराने समय में बने मंदिरों दीवारों में दरारें आ चुकी थीं।

2017 बाद योगी सरकार में अयोध्या का प्राचीन वैभव दोबारा लौट रहा है। अयोध्या के मठ मंदिरों का जीर्णोद्धार फसाड ट्रीटमेंट से हो रहा है। उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम जीर्णोद्धार करा रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का फैसला आने से पहले ही केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार ने रामनगरी के लिए धनवर्षा करनी शुरू कर दी। खास तौर से यहां की संस्कृतियों को फिर से सजोने का काम शुरू कराया। पौराणिक ताल व नदियों के किनारे पक्के घाट बनवाये गए।

माना जाता है कि अयोध्या में तकरीबन आठ हजार के करीब मंदिर हैं। इनमें कई मठ मंदिरों के सौंदर्यीकरण का कार्य कराया जा रहा है। प्रभु रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने से बाद से और तेजी से कार्य शुरू हो गए हैं।

चार वेद, चार युग की प्रेरणा से योगी सरकार में बने चार पथों ने अवधपुरी के वृहद कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त किया है। योगी सरकार के नेतृत्व में पुरातन वैभव को आधुनिक जीवन शैली के अनुरूप ढालकर अयोध्या में कायाकल्प करने का मार्ग सुनिश्चित किया जा रहा है।

यहां के चार प्रमुख पथ भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ, राम पथ व धर्म पथ चार वेदों और चार युगों की अवधारणा पर विकसित किए गए हैं, जिन्हें म्यूरल पेंटिंग, वॉल पेंटिंग, पेबल स्टोन स्कल्चर, आधुनिक लाइटिंग, वाई-फाई कनेक्टिविटी समेत सौर ऊर्जा के उचित प्रयोग से वैश्विक प्रतिमान गढ़ने के अनुरूप बनाया गया है।

2017 से पहले सड़कों की दशा बेहद दयनीय थी। किसी सड़क पर वाहन चलना तो दूर, पैदल भी नहीं चला जा सकता था। कई सड़कें तो अतिक्रमण के कारण संकरी गलियों में परिवर्तित हो गईं थीं। इन सड़कों पर यात्रा करते हुए श्रद्धालुओं व आम नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता था।

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