लखनऊ ,21 अगस्त (आरएनएस/FJ)। उत्तर प्रदेश के चौंसठ जिलों में इस मानसून सामान्य से कम बारिश हुई है। इनमें से कई जिले सूखा जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 75 में से केवल 11 जिलों में 19 अगस्त तक सामान्य बारिश हुई है।
हालांकि, एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि आने वाले दिनों में बारिश इस कमी को पूरा करेगी।
राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और अभी भी सूखा घोषित करना जल्दबाजी होगी।
उन्होंने कहा, हम मानसून के हर पहलू को करीब से देख रहे हैं और दैनिक आधार पर डेटा एकत्र किया जा रहा है। बारिश कम हुई है लेकिन सूखे की घोषणा करना जल्दबाजी होगी क्योंकि हम अभी भी बुवाई के मौसम में हैं।
जौनपुर उन जिलों में शामिल है जहां इस मॉनसून में सबसे कम बारिश हुई है।
आईएमडी के आंकड़े कहते हैं कि जिले में 74 फीसदी कम बारिश हुई है। 19 अगस्त तक 471.5 मिमी की लंबी अवधि के औसत (एलपीए) की तुलना में इस मानसून में केवल 123.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई है और यह बड़े घाटे वाले क्षेत्रों की श्रेणी में आता है।
विशेषज्ञों की राय है कि रोपाई के बाद लगभग एक महीने तक धान के खेतों में कम से कम कुछ इंच पानी भर जाना चाहिए। वर्षा की कमी से खरपतवार की वृद्धि होती है और पौधे का विकास प्रभावित होता है। राज्य के पूर्वी हिस्सों में बारिश एलपीए से 50 फीसदी कम है। फरु खाबाद में 80 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि राज्य के 39 जिलों में 50 फीसदी से कम बारिश हुई है।
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि जिला स्तर के अधिकारियों को किसानों और कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क बनाए रखने के लिए कहा गया है, ताकि स्थिति से निपटने के तरीकों पर किसानों को सही जानकारी दी जा सके। उन्होंने कहा, सूखा घोषित करने पर कोई भी निर्णय अक्टूबर में मानसून के बाद निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार लिया जाएगा।
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