Petition filed in SC, appellant said- I did not even appeal

नईदिल्ली,21 सितंबर (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसी याचिका दाखिल की गई, जिसे पक्षकार ने दायर ही नहीं करवाई थी. समझे नहीं, आइये मामले को समझते हैं. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की गई, जिसे असल में वास्तविक पक्षकार ने दायर नहीं की थी. सुप्रीम कोर्ट को यह जब पता चला तो अदालत ने मामले की सीबीआई जांच के लिए आदेश दे दिया.

असल अपीलकर्ता ने कहा कि उसने किसी भी वकील को अपनी ओर से याचिका दाखिल करने के लिए नियुक्त नहीं किया है. पूरा मामला नीतिश कटारा हत्याकांड के चश्मदीद रहे अजय कटारा से जुड़ा हुआ है.

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सतीश सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है. याचिकाकर्ता भगवान सिंह ने बताया कि कभी भी उसने उक्त वकील से मुलाकात नहीं की है. न ही उन्होंने कभी भी मामला दाखिल करने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल मामले के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट नीतीश कटारा हत्याकांड में चश्मदीद गवाह अजय कटारा के खिलाफ बंदायू में दर्ज अपहरण और दुष्कर्म के मामलों में सभी कार्रवाई बंद कर दी थी. मामले में लड़की के पिता के नाम से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई. नोटिस जारी होने के बाद पीडि़ता के पिता ने कहा कि उन्होंने कोई अपील दाखिल ही नहीं की है.

मुस्लिम इलाके को मिनी पाकिस्तान बोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. टिप्पणी कर्नाटक हाईकोर्ट के एक जज ने की थी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस राजीव खन्ना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी है.

बेंच ने कहा कि सुनवाई के दौरान हमारा ध्यान कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वी श्रीशानंद द्वारा की गई टिप्पणियों पर गई. हमने मामले में एजी और एसजी से सलाह मांगी है. हमने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि वे कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपे.

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