Party leaders celebrated when K Kavitha was released from jail

पिता केसीआर से की मुलाकात

हैदराबाद ,29 अगस्त (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच महीने से अधिक समय बाद जेल से बाहर आई भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी के. कविता ने गुरुवार को अपने पिता और पार्टी अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव से मुलाकात की।

बुधवार शाम हैदराबाद पहुंचीं कविता चंद्रशेखर राव से मिलने के लिए सिद्दीपेट जिले के एरावेली गईं।

अपने पति डी. अनिल कुमार और बेटे आदित्य के साथ वह बीआरएस प्रमुख केसीआर के मिलने पहुंचीं। इस दौरान वो पैर छूने के लिए झुकींं, तो केसीआर ने उन्हें गले लगा लिया।

के. कविता के घर पहुंचने पर बीआरएस नेताओं और कर्मचारियों ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया। इसके बाद वह अपने पिता से मिलने के लिए घर के अंदर चली गईं। पांच महीने से अधिक समय बाद बेटी को देखकर केसीआर खुश हुए और घर के अंदर ले गए। केसीआर के घर पर जश्न का माहौल था। मंगलवार को दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा कविता का स्वागत करने के लिए बीआरएस के कई नेता वहां पहुंचे थे।

वह बुधवार शाम हैदराबाद पहुंचीं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने अपनी मां शोभा से मुलाकात की, जो उनसे मिलने के लिए एरावेली से हैदराबाद पहुंची थीं।

कविता के भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव भी दिल्ली से उनके साथ आए थे।

इस बीच, रामा राव गुरुवार को पारिवारिक यात्रा पर अमेरिका रवाना हो गए।

साढ़े पांच महीने बाद कविता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सक्रिय हुईं। उन्होंने बुधवार को अपने घर पर हुए स्वागत के दौरान अपने भाई और पति के साथ ली गई एक तस्वीरों को शेयर किया।

उन्होंने तेलुगू में लिखा, सत्यमेव जयते।

बाद में उन्होंने अपने पिता की तस्वीर पोस्ट की, इसमें वे एरावेली स्थित अपने आवास पर पहुंचकर उन्हें गले लगा रहे हैं।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामलों में के कविता को जमानत दे दी थी। उन्हें 15 मार्च को ईडी ने हैदराबाद में गिरफ्तार किया था और उसी दिन उन्हें दिल्ली ले जाया गया था।

अप्रैल में ही सीबीआई ने उन्हें तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था और तब से वे न्यायिक हिरासत में थीं।

जेल से रिहा होने के बाद बीआरएस एमएलसी ने दावा किया कि वह निर्दोष हैं। उनके परिवार को परेशान करने के लिए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने बदले की भावना से उन्हें फंसाया है।

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