Parliament became an arena, scuffle between TMC and BJP MLAs, bottles thrown

कोलकाता ,04 सितंबर (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में उस वक्त जबरदस्त हंगामा हो गया, जब बीजेपी और टीएमसी विधायक आपस में भिड़ गए। जानकारी के अनुसार अल्पसंख्यकों से जुड़े एक बिल पर चर्चा के दौरान हंगामा शुरू हुआ।

जिस की वजह से विधानसभा स्पीकर को मार्शल बुलाने पड़े। इस दौरान बीजेपी के चीफ व्हिप शंकर घोष को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। उनके अलावा बीजेपी के 4 और विधायकों को भी सस्पेंड कर दिया गया।

हंगामे के दौरान टीएमसी और बीजेपी विधायकों के बीच हाथापाई भी हुई। इस दौरान जब पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने बीजेपी विधायक और पार्टी के मुख्य सचेतक डॉ. शंकर घोष को निलंबित करने के बाद उन्हें बाहर निकालने के लिए मार्शल बुलाए, तो तनाव पैदा हो गया।

बीजेपी विधायक आसन के सामने आ गए। उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाए और कार्यवाही बाधित की। जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी कामगारों पर हमलों की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित करने की कोशिश कर रही थी। शंकर घोष के साथ भगवा पार्टी की अग्निमित्रा पॉल को भी पश्चिम बंगाल विधानसभा से निलंबित कर दिया गया।

स्पीकर बिमान बनर्जी ने उन्हें बाहर निकालने के लिए महिला मार्शल बुलाए। इसके अलावा तीन अन्य बीजेपी विधायकों अशोक डिंडा, बमकिन घोष और मिहिर गोस्वामी को भी सदन से निलंबित कर दिया गया हैं। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष की बेंच से उन पर पानी की बोतलें फेंकी गईं।

सीएम ममता ने बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर बंगाल विरोधी होने और बंगालियों के उत्पीडऩ पर चर्चा को रोकने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रस्ताव पर बोलने वाली थीं, तभी भाजपा विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी जिसके बाद घोष को निलंबित कर दिया गया।

बीजेपी विधायकों ने जानना चाहा कि दो सितंबर को विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को क्यों निलंबित किया गया था। जब घोष ने जाने से इनकार किया तो मार्शल की मदद से उन्हें सदन से बाहर निकाल दिया गया। मुख्यमंत्री ने भाजपा विधायकों के असंसदीय आचरण की निंदा की।

ममता बनर्जी ने कहा कि वे बंगाली प्रवासियों के अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित एक गंभीर चर्चा को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे। हंगामे के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके कारण कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

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