NTCA is also praising MP after getting the report of tiger count

भोपाल,10 अप्रैल (एजेंसी)। मध्य प्रदेश ने बाघ संरक्षण के मामले में देश में फिर कीर्ति पताका फहरा दी है। बाघ गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) भी बाघों के संरक्षण के कारगार व प्रभावी प्रयासों की प्रशंसा कर रहा है।

पिछले बार की गणना के मुकाबले 185 बाघ बढऩा यह बताता है कि बाघों के लिए राज्य के जंगल सबसे मुफीद हैं। हालांकि यह भी एक तथ्य है कि टेरेटरी के लिए संघर्ष और शिकार की घटनाएं नहीं होती तो प्रदेश में आज 800 से अधिक बाघ होते। पिछले एक दशक में प्रदेश में 304 बाघों की मौत हुई है।

विभिन्न दुर्घटनाओं में 140, तो 60 बाघों की मौत करंट, जहरखुरानी और फंदे में फंसकर हुई है। इन परिस्थितियों के बाद भी मध्यप्रदेश बाघों की संख्या में वृद्धि होना प्रदेश के वन विभाग के लिए गौरव की बात है लेकिन भविष्य में इस तरह की चुनौतियों से पार पाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

बाघ आंकलन 2018 के अनुसार प्रदेश में 526, कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ थे। वर्ष 2010 में मप्र से टाइगर स्टेट का दर्जा छिना था, इसके बाद शुरु हुए बाघ संरक्षण के प्रयासों से पिछली गणना में प्रदेश की टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया।

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