nothing is impossible in politics

यह पुरानी कहावत है। राजनीति हमेशा नई संभावनाओं से भरी होती है और कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है। बिहार में राजद और जदयू का साथ आना, उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का साथ मिल कर चुनाव लडऩा और महाराष्ट्र में कांग्रेस व एनसीपी के साथ शिव सेना का तालमेल इसकी मिसाल है। तभी पिछले दिनों जब शिव सेना के नेता आदित्य ठाकरे पटना पहुंचे और राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की तो यह चर्चा शुरू हुई कि कैसे समय का चक्र 360 डिग्री पर घूम गया है। कुछ समय पहले तक महाराष्ट्र में शिव सेना के नेता बिहारी और पूर्वाचंल के भैया लोगों के खून के प्यासे होते थे। उन पर आए दिन हमला होता था और हर चौराहे पर उनको अपमानित किया जाता था।

लेकिन आज शिव सेना का तालमेल भाजपा से टूट गया है तो उसे प्रवासी वोटों की जरूरत है और उसके लिए बिहार की पार्टियां अहम हो गई हैं। मुंबई में प्रवासी आबादी बड़ी है और बिहार की राजनीति उनका वोट प्रभावित कर सकती है। वैसे भी उद्धव ठाकरे के कमान संभालने के बाद शिव सेना का नजरिया बदल गया है और उसने प्रवासियों पर हमले बंद कर दिए हैं। फिर भी भाजपा के नेता सुशील मोदी ने इसका जिक्र किया। उन्होंने बाल ठाकरे वाली असली शिव सेना एकनाथ शिंदे गुट को बताया। लेकिन वे भूल गए कि बाल ठाकरे वाली असली शिव सेना ही प्रवासियों पर हमला करती थी, उद्धव वाली शिव सेना नहीं करती है। इसी तरह प्रवासियों के प्रति ज्यादा नफरत राज ठाकरे ने दिखाई थी और वे भी अभी भाजपा के साथ हैं।

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