Not the only case of sexual harassment of women in Manipur, CJI asked the government to account during the hearing

मणिपुर 31 Jully (एजेंसी): मणिपुर वायरल वीडियो मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने केंद्र और मणिपुर सरकार से हिसाब मांग लिया कि अब तक ऐसे कितने मामले सामने आए हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा वीडियो सामने आ गया है, लेकिन महिलाओं के उत्पीड़न का यह अकेला मामला नहीं है। कई और महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है। यह अकेली घटना नहीं है।

उन्होंने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमें एक ऐसा मेकेनिज्म बनाना होगा, जिसमें महिलाओं के साथ हुई हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं का समाधान निकाला जा सके। इस मेकेनिज्म के तहत यह तय हो कि पीड़ितों को न्याय मिल जाए।

बता दें कि मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है। मणिपुर की दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं।

वहीं सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि हमने कभी भी मुकदमे का असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है। हमने ये कहा है कि इस मामले को मणिपुर के बाहर स्थानांतरित किया जाए। सीजेआई ने इस दौरान कहा कि उन महिलाओं का जो वीडियो सामने आया सिर्फ वही एक घटना नहीं है।

ऐसी और भी कई घटनाएं हुई हैं। हमें उन सभी महिलाओं के साथ जो हिंसा हुई है उसको देखना है। महिलाओं के खिलाफ अपराध की कितनी FIR दर्ज हैं? वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि पुलिस ही उन महिलाओं को भीड़ के सामने लेकर गई।

उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधियों के साथ मिली हुई है। एक महिला के पिता और भाई की हत्या कर दी गई। उनकी बॉडी अब तक नहीं मिली। एक ऐसी एजेंसी इसकी जांच करे जिसपर पीड़ितों को भरोसा हो। CBI इसकी जांच कैसे करेगी? इस मामले की जांच के लिए SIT गठित की जानी चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार को ये तक जानकारी नहीं है कि कितनी FIR दर्ज हैं।

तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच पर केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। इंदिरा जयसिंह ने इस मामले पर कहा कि मणिपुर में करीब 5355 एफआईआर दर्ज हुई हैं। कई रेप पीड़ितों ने FIR भी दर्ज नहीं करवाई हैं। वह डरी हुई हैं, उन्हें भरोसा दिलाना होगा। महिलाओं की एक टीम बनाई जाए, जो पीड़ितों से बात करे। पीड़ितों की पहचान को गोपनीय रखी जाए। पुलिस के सामने पीड़ित महिलाएं डर जाती हैं। गवाहों को सुरक्षा दी जाए।

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