Noida High Court bans bulldozer operation in Yamuna floodplains

नोएडा 19 June (एजेंसी) । नोएडा प्राधिकरण यमुना के डूब क्षेत्र में बने फॉर्म हाउस को ध्वस्त नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने डूब क्षेत्र में प्राधिकरण के ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट ने यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है। साथ ही 30 दिनों के अंदर फॉर्म हाउस मामले में प्राधिकरण को फैसला लेने की बात कही है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह में अपनी आपत्ति दर्ज करवानी होगी। इसके साथ ही न तो प्राधिकरण वहां कोई ध्वस्तीकरण अभियान चलाएगा न ही फॉर्म हाउस मालिक वहां कोई निर्माण करेंगे। इससे पहले भी फार्म हाउस मालिकों ने अपनी आपत्तियों के प्रत्यावेदन प्राधिकरण को दिए थे। जिनका निस्तारण करने हुए प्राधिकरण ने जवाब दिया था। हालांकि इस जवाब से याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हुए।

प्राधिकरण ने हाल ही में यमुना के डूब क्षेत्र में बने फार्म हाउसों पर बुलडोजर चलवा दिया। इस कार्रवाई के विरोध में फार्म हाउस मालिकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्राधिकरण ओएसडी प्रसून द्विवेदी ने बताया कि ध्वस्तीकरण मामले में कोर्ट से स्टे हुआ है। विधि सलाहकार से बातचीत करके ही आगे अपना जवाब दिया जाएगा।

गौरतलब है कि यमुना के करीब 5 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की जमीन पर 900 फॉर्म हाउस है। जिसे ड्रोन सर्वे के जरिए प्राधिकरण ने नोटिफाइ किया था। पहले फेज में प्राधिकरण ने 150 फॉर्म हाउस और 4 क्लब को ध्वस्त किया था। इसके बाद फार्म हाउस मालिक हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने मालिकों से कहा कि वे सभी प्राधिकरण में अपनी लिखित आपत्ति जमा कर सकते है। इसके बाद प्राधिकरण इसकी जांच करेगा। प्राधिकरण ने अधिकतर प्रत्यावेदनों का निपटारा कर दिया है। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्यवाही फिर शुरू की गई। लेकिन वहां भी स्टे मिल गया।

यमुना डूब क्षेत्र में बढ़ती अवैध फार्म हाउस की संख्या का अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन ने गुपचुप तरीके से रजिस्टर्ड जीपीए पर रोक लगा दी है। अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की एनओसी के बाद ही डूब क्षेत्र की जमीन की खरीद बिक्री के लिए रजिस्टर्ड जीपीए भी हो सकेगा। निबंधन विभाग में डूब क्षेत्र में आने वाले गांव की जमीन पर वर्ष 2020 से रजिस्ट्री प्रतिबंधित है। यह रोक जिला आपदा प्रबंधन कमेटी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने लगाई है। प्राधिकरण ने यमुना के अधिसूचित क्षेत्र और बाढ़ के मैदान में निर्माण के खिलाफ जून में सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। इसमें लिखा था कि यूपी औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधान के तहत प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में बिना पूर्व अनुमति के निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। यदि किसी के द्वारा कोई निर्माण किया गया है तो उसे अविलम्ब हटा दें, अन्यथा यदि नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण पाया जाता है तो उसे ध्वस्त कर दिया जायेगा।

गौरतलब है कि 1976 में 36 गांवों को मिलाकर नोएडा को बनाया गया। 2031 मास्टर प्लान के अनुसार इसका क्षेत्र बढ़ाकर 20 हजार 2016 हेक्टेयर किया गया। ये पहला ऐसा शहर है, जिसमें करीब 5 हजार 36 हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र यानी यमुना और हिंडन का रिवर बेंड है। प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन रमा रमण ने वर्ष 2015 में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर हिंडन व यमुना नदी के किनारे की लगभग 5036 हेक्टेयर जमीन को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की थी। रिवर फ्रंट में झीलें, पार्क, साइकिल ट्रैक, पैदल पथ, बगीचा, बैठने के स्थान समेत कई सुविधाएं विकसित की जानी थीं।

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