No woman can allege rape after having consensual relationship for six years High Court

बेंगलुरु 09 Aug. (एजेंसी): कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि सालों तक सहमति से संबंध बने रहने के बाद रेप का दावा नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मुलाकात के बाद याचिकाकर्ता की सुनवाई पर कही। दरअसल शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच छह साल तक सहमति से यौन संबंध बने हुए थे, जिसके बाद में 27 दिसंबर, 2019 से दोनों के बीच लगाव कम हो गया। हाई कोर्ट ने कहा कि 6 साल तक सहमति से बनाए यौन संबंधों के बाद अंतरंगता कम होने का मतलब यह नहीं हो सकता कि इसको आधार बनाते हुए रेप का दावा किया जाए।

न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना ने बेंगलुरु शहर में इंदिरानगर पुलिस और दावणगेरे में महिला पुलिस स्टेशन द्वारा 2021 में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के संबंध में कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा, ‘उनके (याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता) बीच पहले दिन से सहमति से किए गए कार्य थे और 27 दिसंबर, 2019 तक ऐसे ही रहे।’ यह बताते हुए कि यौन संबंध 6 साल तक चला, न्यायाधीश ने कहा कि इसे आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार नहीं माना जा सकता। न्यायाधीश ने प्रमोद सूर्यभान पवार बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, ‘अगर आगे की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी गई, तो यह (ए) इस मुद्दे और कुछ अन्य मामलों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कई फैसलों का उल्लंघन होगा।’

पुलिस एफआईआर के मुताबिक, ‘याचिकाकर्ता ने 2013 में फेसबुक के माध्यम से शिकायतकर्ता से दोस्ती की थी। उसके अनुसार, चूंकि वह पास में ही रहता था, इसलिए उसे यह कहकर हमेशा अपने घर ले जाया करता था कि वह एक बहुत अच्छा शेफ है। वह स्वादिष्ट खाना बनाता था और जब भी वह उसके घर जाती थी, बीयर पीती थी और दोनों के बीच संबंध बनता। करीब 6 साल तक शादी का वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद याचिकाकर्ता ने अपना वादा तोड़ दिया। 8 मार्च, 2021 को, उसने इंदिरानगर पुलिस में अन्य बातों के अलावा धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। बाद में, जब उसे पता चला कि याचिकाकर्ता जमानत मिलने के बाद दावणगेरे में रह रही है, तो शिकायतकर्ता वहां गई और उन्हीं आरोपों के आधार पर मारपीट और बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई।’

दूसरी शिकायत में याचिकाकर्ता के साथ एक अन्य महिला का भी नाम था। पुलिस ने दोनों मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया था। याचिकाकर्ता ने सह-अभियुक्त महिला के साथ पुलिस की कार्रवाई को चुनौती दी। उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता की आदत अमीर लोगों से दोस्ती करने, पैसे ऐंठने और अपराध दर्ज कराकर ब्लैकमेल करने की है। उन्होंने एक अन्य मामले का भी हवाला दिया जहां शिकायतकर्ता ने एक व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और फिर उसके खिलाफ बेंगलुरु के हवाईअड्डा पुलिस स्टेशन में इसी तरह का मामला दर्ज कराया था, जिसमें अन्य बातों के अलावा शादी के वादे का उल्लंघन और बलात्कार का आरोप लगाया गया था। अदालत को बताया गया कि महिला के मुकरने और अपने बयान से पलटने के बाद 2016 में उस व्यक्ति को बरी कर दिया गया था।

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