National Education Policy will make India a global knowledge superpower Prof.

*राष्ट्रीय शिक्षा नीति :  एआईसीटीई चेयरमैन प्रो. टी.जी. सीताराम ने पेश किया अमृत काल का नया प्लान*

 *भारत को बनाना है ‘विश्वगुरु’*

नई दिल्ली, 25 सितंबर (एजेंसी)। 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का सपना हकीकत बनने की राह पर है। ‘विकसित भारत’ एक दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को हर क्षेत्र में नए मील के पथ पर आगे बढ़ाना है। इसे पूरा करने का मूल तत्व शिक्षित भारत के हित में है। अमृत काल के समय में हमारा ध्यान शिक्षा व्यवस्था को समग्र दृष्टिकोण से बदलने पर है।’एनरूट, एजुकेट एंड एम्पावर’- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) भारतीय लोकाचार में निहित एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने के लिए बनाई गई है जो सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करके भारत को बदलने में सीधे योगदान देते हुए भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाएगा।

अमृत काल के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की कल्पना के तहत अगले 25 वर्षों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिए  ग्रेडेड एक्रिडिटेशन (3 स्तरीय) और ग्रेडेड स्वायत्तता जैसे विभिन्न परिवर्तनकारी सुधार, समय-समय पर मूल्यांकन और मान्यता को मजबूत करने के लिए ‘वन नेशन वन डेटा’ प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। इस प्लेटफार्म के तहत ऐसे  गतिशील शिक्षा के तरीकों पर जोर दिया जाएगा, जो वास्तव में उद्योग, समाज, आत्मनिर्भरता, रचनात्मकता और मौलिकता की मांगों को पूरा कर सकते हैं, 21वीं सदी को कौशल प्रदान कर सकते हैं, महत्वपूर्ण सोच और समस्या समाधान विकसित कर सकते हैं, अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकते हैं और जो उद्योग-अकादमिक सहयोग और अनुसंधान सहायता प्रणाली तैयार कर सकते हैं।

इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सही अमल पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि भारत को विश्व की ज्ञान राजधानी बनाया जा सके। इसके लिए एआईसीटीई ने नवाचार/स्टार्ट-अप/उद्यमिता, अनुसंधान आधारित शिक्षा आदि को बढ़ावा देने वाली दुनिया में सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने के लिए अमृत काल के लिए अपने दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की है। अमृत काल के दृष्टिकोण में मातृभाषा में शिक्षा, युवा रोजगार में सुधार, संकाय और छात्र विकास कार्यक्रम, उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, परीक्षाओं में सुधार, अनिवार्य मान्यता व विनियमन और एक आत्मविश्वासी, प्रगतिशील, नवाचारी और सहानुभूतिशील पीढ़ी के निर्माण को बढ़ाना शामिल है।

अमृत काल के लिए भारत का दृष्टिकोण आत्मनिर्भर  बनने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गर्व से ‘विश्वगुरु’ और ‘विश्वाधाता’ बनाने का है। एआईसीटीई का लक्ष्य भारत को ज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित करना है जो पूरी दुनिया का मार्गदर्शन कर सके। हम भारत की शिक्षा प्रणाली को दुनिया भर के छात्रों के लिए एक शीर्ष गंतव्य के रूप में स्थापित करने, प्रतिभाओं को आकर्षित करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और  ज्ञान अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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