नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आरएनएस/FJ)। भारतीय जनता पार्टी की नई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा की अध्यक्षता में होगी। केंद्रीय चुनाव समिति की नई नवगठित टीम के साथ बैठक में गृही मंत्री अमित शाह भाग लेंगे।
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और भारतीय जनता पार्टी अपने उम्मीदवारों पर चर्चा पर मुहर लगाएगी । भारतीय जनता पार्टी के लिए हिमाचल प्रदेश में दोबारा सरकार लाने की पूरी प्रयास की जा रही है । हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में हर 5 साल पर सरकार बदल कर दूसरी पार्टी की सरकार बनती है लेकिन उत्तराखंड में भी ठीक इसी तरह से और चुनाव में सरकार बदल जाया करती थी लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा ने वहां दोबारा सत्ता में आकर इस मिथक को तोड़ दिया है ।
भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में भी इस मिथक को तोड़ने के लिए पूरी जोर-शोर से विधानसभा चुनाव में उतर रही है । हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर अपने हर एक उम्मीदवारों पर गहन चर्चा चर्चा करेगी इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नई नवगठित चुनाव समिति की बैठक में भाग ले रहे हैं ।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के अलावा, जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, पार्टी ने कर्नाटक में सत्ता बनाए रखने के लिए कड़ी लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है, जहां नेतृत्व में बदलाव आया है और कई विवादों ने सरकार को सुर्खियों में रखा है। बीजेपी तेलंगाना में भी आक्रामक रूप से प्रचार कर रही है, जहां उसने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ टीआरएस के विकल्प के रूप में खुद को खड़ा किया है।
राज्य इकाई के एक नेता ने कहा कि हैदराबाद को ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक के स्थल के रूप में चुना गया था क्योंकि पार्टी अपने कैडर को मजबूत करना चाहती थी और यह संदेश देना चाहती थी कि वह 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए एक प्रमुख दावेदार है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति और केंद्र के कुछ हालिया फैसले, जिसमें सशस्त्र बलों के लिए नई भर्ती नीति, अग्निपथ, जिसका कड़ा विरोध हुआ है, पर भी चर्चा के लिए आने की उम्मीद है। सरकार ने नीति के खिलाफ गुस्से का मुकाबला करने के लिए पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है, यह दावा करते हुए कि इससे नौकरियों में कटौती नहीं होगी।
जबकि विपक्ष सरकार को नौकरी के नुकसान को रोकने में विफल रहने और विकास दर में गिरावट के लिए दोषी ठहराता है, सरकार और भाजपा ने दावा किया है कि मुफ्त खाद्यान्न और ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे हस्तक्षेपों ने महामारी के प्रभाव को कम करने में मदद की है।
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