Nagaland won the Subroto Cup after 42 years

नयी दिल्ली ,14 अक्टूबर (एजेंसी) । पिलग्रीम हायर सेकंड्री स्कूल (नागालैंड) ने सुब्रतो कप फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में गवर्नमेंट मॉडल हायर सेकंड्री स्कूल (चंडीगढ़) को 1-0 से मात दी।

सेतुंगचिम ने इस रोमांचक मुकाबले के अतिरिक्त समय में नागालैंड के लिये विजयी गोल जमाया। नागालैंड को 42 साल बाद सुब्रतो कप का खिताब मिला है।

नागालैंड ने मैच की शुरुआत से ही अपना दबदबा बनाये रखा लेकिन निर्धारित समय समाप्त होने तक दोनों टीमों का स्कोर शून्य रहा। सेतुंगचिम ने आखिरकार अतिरिक्त समय की शुरुआत में ही हेडर की मदद से बॉल को नेट में पहुंचाया।
मुख्य अतिथि एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने विजेताओं को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया। फाइनलिस्ट टीमों को प्रेरित और उत्साहित करने के लिए टोक्यो ओलंपिक रजत पदक विजेता पहलवान रवि दहिया भी विशिष्ट अतिथि के रूप में फाइनल के लिये उपस्थित रहे।

विजेता नागालैंड को 3.5 लाख रुपये दिये गये जबकि उपविजेता चंडीगढ़ को दो लाख रुपये मिले। सेमीफाइनल और क्वार्टरफाइनल तक आने वाली टीमों को क्रमश: 1.5 लाख रुपये और एक लाख रुपये दिये गये। झारखंड के 10+2 जि़ला स्कूल को फेयर प्ले ट्रॉफी और 50,000 रुपये से सम्मानित किया गया। लेमेट तंगवाह (चंडीगढ़) को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी जबकि नागालैंड को सर्वश्रेष्ठ स्कूल के पुरस्कार के साथ 40 हज़ार रुपये दिये गये। सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर शोटोक निखुई (नागालैंड) और सर्वश्रेष्ठ कोच अंकुर खन्ना (चंडीगढ़) को 25,000 रुपये मिले।

*****************************

 

इसे भी पढ़ें : आबादी पर राजनीति मत कीजिए

इसे भी पढ़ें : भारत में ‘पुलिस राज’ कब खत्म होगा?

इसे भी पढ़ें : प्लास्टिक मुक्त भारत कैसे हो

इसे भी पढ़ें : इलायची की चाय पीने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ

तपती धरती का जिम्मेदार कौन?

मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब

जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *