MP Praveen Khandelwal writes to Amit Shah, demanding renaming of Delhi as 'Indraprastha'

नई दिल्ली  01 Nov,(Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह नाम भारतीय सभ्यता की आत्मा, धर्म, नीति और लोककल्याण की भावना का प्रतीक है।

सांसद का कहना है कि दिल्ली कोई साधारण आधुनिक शहर नहीं, बल्कि महाभारत काल में पांडवों द्वारा बसाई गई उस महान नगरी की जीवंत परंपरा है, जिसे इतिहास ‘इंद्रप्रस्थ’ के नाम से जानता है। सांसद ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम ‘इंद्रप्रस्थ जंक्शन’ और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ किया जाए।

साथ ही दिल्ली के किसी प्रमुख स्थान पर पांडवों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाएं, क्योंकि यही वह पावन भूमि है, जहां पांडवों ने अपनी राजधानी बनाई थी। इन प्रतिमाओं से नई पीढ़ी त्याग, साहस, न्याय और धर्मपरायणता जैसे मूल्यों से जुड़ेगी।

खंडेलवाल ने अपने पत्र की प्रति दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी भेजी है।

उनका कहना है कि महाभारत काल में पांडवों ने हस्तिनापुर से राजधानी स्थानांतरित कर यमुना तट पर ‘इंद्रप्रस्थ’ बसाई थी। वह नगरी अपने समय की सबसे समृद्ध, सुंदर और सुसंगठित नगरी थी। यहीं से धर्म और नीति पर आधारित शासन की नींव पड़ी।

सांसद ने अपने पत्र में कहा कि इतिहास गवाह है कि मौर्य और गुप्त काल में यह क्षेत्र व्यापार और संस्कृति का केंद्र रहा। राजपूत काल में तोमर राजाओं ने इसे ‘ढिल्लिका’ कहा, जिससे धीरे-धीरे ‘दिल्ली’ नाम बना। सल्तनत काल में कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर मुगल काल में शाहजहां तक ने कई शहर बसाए जैसे सिरी, तुगलकाबाद, फिरोजशाह कोटला और शाहजहानाबाद, लेकिन मूल केंद्र इंद्रप्रस्थ ही रहा।

ब्रिटिश काल में 1911 में लुटियन्स दिल्ली को नई राजधानी बनाया गया, पर उसका भूगोल आज भी वही है जहां कभी पांडवों की राजधानी थी।
सांसद ने कहा कि जब प्रयागराज, अयोध्या, उज्जैन और वाराणसी जैसे शहर अपनी प्राचीन पहचान लौटा रहे हैं, तो दिल्ली को भी ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम का सम्मान मिलना चाहिए। यह बदलाव सिर्फ ऐतिहासिक न्याय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कदम होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक नवजागरण के विजन से यह पूरी तरह मेल खाता है। नाम बदलने से सांस्कृतिक आत्मगौरव बढ़ेगा।
‘इंद्रप्रस्थ’ नाम भारत की सभ्यता और धर्मनिष्ठ शासन की भावना को जीवंत करेगा। आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश मिलेगा कि राजधानी सिर्फ सत्ता का केंद्र नहीं, बल्कि धर्म, नीति और राष्ट्रधर्म का प्रतीक भी है।

उनका कहना है कि वैश्विक स्तर पर ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ और ‘इंद्रप्रस्थ जंक्शन’ जैसे नाम भारत की प्राचीन विरासत को दुनिया के सामने लाएंगे। इससे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे व्यापार, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

खंडेलवाल ने जोर दिया कि दिल्ली महाभारत युग की उस महान नगरी की विरासत है. जहां धर्म और नीति की नींव रखी गई थी। अब समय आ गया है कि देश की राजधानी को उसका असली नाम और पहचान लौटाई जाए।

जब हर शहर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ रहा है, तो दिल्ली को ‘इंद्रप्रस्थ’ से पुकारे जाने का पूरा अधिकार है।

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