मुंबई 02 jan, (एजेंसी)-केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ देशभर में ट्रक, डंपर और बस चालक हड़ताल पर हैं। कई राज्यों में सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन जारी है। यह आंदोलन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा, जिससे मुंबई में दूध की आपूर्ति बुरी तरह बाधित हुई। दूध ले जाने वाले हजारों ट्रक राष्ट्रीय, अंतर-राज्य या राज्य राजमार्गों पर विभिन्न स्थानों पर फंसे रहे और शहर में नहीं पहुंच सके।
इसकी वजह से विभिन्न राज्यों में पेट्रोल-डीजल, सब्जी जैसी अति आवश्यक चीजों की आवाजाही पर असर दिख रहा है। मध्यप्रदेश में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के चलते पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। इंदौर के पेट्रोल पंप पर सुबह से लाइनें लगी हुई हैं। हड़ताल के असर के चलते AICTSL बसें की बसें आज भी बंद रहीं। इंदौर से भोपाल और अन्य शहरों की तरफ जाने वाली बसों का संचालन बंद रखा गया है। आईबस और सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है। इसमें भी कई रूट की बसें अभी तक शुरू नहीं हुई हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, समेत 10 राज्यों से पेट्रोल-डीजल पंप ड्राई होने की खबरें हैं। यहां लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। फल, सब्जी, दूध, कृषि के सामानों की सप्लाई प्रभावित हो रही है। कई जगह प्रशासन ट्रांसपोटर्स से संपर्क कर आपूर्ति बहाल करवाने में लगा है। ट्रांसपोर्ट बॉडी के मुताबिक एक दिन के हड़ताल से करीब 120 से 150 करोड़ के कारोबार पर असर होता है. ऐसे में 3 दिन की हड़ताल से 450 करोड़ के नुकसान की आशंका है. इस हड़ताल की वजह से देश भर में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है.
बड़ी संख्या में मुंबई वालों को अपनी पसंदीदा सुबह की चाय और बच्चों के लिए दूध के बिना काम चलाना पड़ा। कुछ क्षेत्रों में डिलीवरी सुबह 10 बजे या उसके बाद बहुत देर से हुई। मुंबई मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एमएमपीए) के अनुसार, महाराष्ट्र के भीतरी इलाकों, गुजरात, मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों या खेतों और मुट्ठी भर कॉरपोरेट्स से दूध ले जाने वाले अधिकांश ट्रकों को रोक दिया गया। दूध कोल्हापुर, सांगली, नासिक, सतारा (महाराष्ट्र), इंदौर, देवास (दोनों मध्य प्रदेश) या आनंद, बनासकांठा, सूरत और मेहसाणा (सभी गुजरात) जैसे जिलों से प्रतिदिन इंसुलेटेड टैंकरों में मुंबई लाया जाता है।
एमएमपीए समिति के सदस्य चंदन सिंह ने , ”मुंबई को हर दिन लगभग 50-60 लाख लीटर दूध की आवश्यकता होती है, जिसमें से 60 प्रतिशत गाय का दूध और बाकी भैंस का दूध होता है। हजारों ट्रक बीच रास्ते में फंसे हुए हैं।”
चंदन सिंह ने कहा कि प्रत्येक इंसुलेटेड मिल्क-टैंकर में 20 टन तक दूध ले जाने की क्षमता है, जहां से इसे अंतिम खुदरा विक्रेताओं तक वितरण के लिए दो-तीन टन की क्षमता वाले मिनी-टैंकरों में स्थानांतरित किया जाता है।
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