Medicinal garden giving new life to extinct medicinal plantsMedicinal garden giving new life to extinct medicinal plants

*कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई औषधीय वाटिका

 *राज्य में 17 जिलो के 35  प्रखंडों में 6500 दीदियां औषधीय वाटिका से जुड़ीं

 रांची, खूंटी के बिरहु बड़का टोली की अनिता सांगा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुलसी , गिलोय , चिरोंजी, सतावर, घोडवार आदि औषधीय पौधों की नर्सरी उनकी आजीविका का साधन बन सकता है। नवीन आजीविका किसान उत्पादक समूह की सदस्य अनिता सांगा आज 50 से अधिक औषधीय पौधों की खेती कर कर रही हैं । पहले सिर्फ वनोपज आधारित आजीविका पर निर्भर अनिता सखी मंडल की महिलाओं के साथ मिल कर औषधीय पौधों और फलों की नर्सरी कर अच्छी आमदनी कर रही रही हैं। अनिता की नर्सरी के पौधे आज औषधीय वाटिका से जुड़ी सखी मंडल के दीदियों की इम्युनिटी बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत औषधीय एवं सुगंधित पौधो की खेती की पहल से जुड़कर अनिता जैसी कई महिलाएं औषधीय पौध नर्सरी का संचालन कर रहीं हैं। वहीं हजारों महिलाएं अपने घरों में औषधीय वाटिका बनाकर अपने परिवार को स्वस्थ जीवन का उपहार दे रही हैं। इस पहल से एक ओर जहां ग्रामीण महिलाओं को औषधीय पौधे सस्ते दर पर नर्सरी के माध्यम से उपलब्ध हो रहे हैं, वहीं राज्य की जनजातीय चिकित्सा पद्धति होड़ोपैथी को पुनर्जीवित कर लोगों को प्राकृतिक उत्पादों के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में वरदान साबित हो रहा है।

Medicinal garden giving new life to extinct medicinal plants

 *कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई औषधीय वाटिका

 औषधीय वाटिका का लक्ष्य सखी मंडल की दीदियों के जरिए पुरातन प्राकृतिक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना एवं रोग निवारक उपायों को बढ़ावा देना है। इससे एक ओर जहां नेचुरोपैथी एवं होड़ोपैथी को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वहीं गांव की महिलाएं आमदनी भी कर रही हैं। हज़ारीबाग जिले के दारु प्रखंड अंतर्गत पेटो गांव की आशा देवी पिछले डेढ़ साल से औषधीय वाटिका परियोजना से जुड़ कर न सिर्फ कोरोना के कठिन समय में कारगर तुलसी , गिलोय, हरसिंगार सहित 30  से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर अपने परिवार और आसपास के लोगो की मदद की, बल्कि इन औषधीय पौधों की बिक्री के जरिए कुछ आमदनी भी कर लेती हैं।

 *17 जिलो के 35  प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ चल रही परियोजना

 पिछले कुछ दशकों में होडोपैथी औषधीय पौधो की कमी के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुंच गयी थी। ऐसे में झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत औषधीय वाटिका पहल के जरिये प्राचीन औषधीय चिकत्सा प्रणालियों को पुनर्जीवित कर इसके संरक्षण को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में परियोजना राज्य के 17 जिलों के 35  प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत 30 से अधिक औषधीय और सुंगधित पौधों जैसे  हर्रा, बहेड़ा, करंज, कुसुम, लेमनग्रास  आदि को बढ़ावा दिया जा रहा  है, जो मुख्य रूप से औषधीय वाटिका के तहत उगाए जाते हैं। इसके अलावा वन आधारित औषधीय पौधों का वैज्ञानिक संग्रहण, खेती तथा सुगंधित पौधे को बढ़ावा देकर राज्य में आजीविका के नये अवसर उत्पन्न करने का प्रयास भी जोरो पर है।

 

सखी मंडल की बहनों को औषधीय पौधों की खेती से जोड़कर सशक्त अभिनव आजीविका का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक करीब 10 औषधीय पौधो की नर्सरी का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। आने वाले दिनों में नेशनल मेडिसिनल प्लान्ट बोर्ड के साथ अभिसरण के जरिए 50 से ज्यादा नर्सरी की स्थापना का लक्ष्य है। इस पहल से करीब 11 हजार ग्रामीण परिवार औषधीय वाटिका से जुड़ेंगे, जिसका लाभ एक लाख से ज्यादा परिवारों को होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *