नई दिल्ली,14 दिसंबर (एजेंसी)। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर लोकसभा में स्थगन नोटिस दिया। तिवारी के नोटिस में कहा गया है कि कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, जिन्हें पूछे जाने की आवश्यकता है।
ये झड़पें क्यों हो रही हैं, पहले गालवान और अब यांग्त्से? चीनी क्या चाहते हैं? क्या सरकार चीनी दुर्भावनापूर्ण इरादों से अवगत है? क्या हमने चीनियों के लिए कोई क्षेत्र खो दिया है? यदि हां, तो सरकार इसे वापस पाने के लिए कैसी योजना बना रही है?
उन्होंने कहा, 2020 से चीन से आयात 27.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर दोगुना 52.4 बिलियन डॉलर हो गया है। पूर्वी लद्दाख से चीनी अरुणाचल प्रदेश पर नजर गड़ाए हुए हैं। रिपोटरें से पता चलता है कि चीन ने बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है और एलएसी पर अतिरिक्त सैन्य निर्माण किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कम से कम तीन अतिरिक्त पीएलए ब्रिगेड कथित तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं। अरुणाचल प्रदेश के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य तैनाती में बड़ी कमी के बारे में भी चिंताएं बताई गई हैं।
नोटिस में उल्लेख किया गया है कि देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में संकट अनसुलझे हैं। स्थानीय लोग जो अब तक चारडिंग ला-निलुंग नाला जंक्शन की यात्रा कर चुके थे, उन्हें चीनियों ने प्रवेश से वंचित कर दिया है। चरवाहों को भी क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।
इस बीच चीन ने कथित तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार पर्याप्त सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। चीन लद्दाख में यथास्थिति बहाल करने को तैयार नहीं है, ऐसी स्थिति जो भारत को भारी नुकसान हो रहा है। यह मुद्दा भारत की संप्रभुता, उसकी गरिमा, एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में दुनिया में उसके स्थान से संबंधित है।
इस सदन ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर केवल पांच मिनट बिताए हैं। मैं सरकार से इस मामले को पूरी गंभीरता से लेने और चीन के साथ सीमा की स्थिति के संबंध में संसद में विस्तृत चर्चा करने का आग्रह करता हूं।
तिवारी के नोटिस में कहा गया है, मैं इस मामले को उठाने की अनुमति देने का अनुरोध करता हूं।
***********************************