Manish Sisodia's difficulties increased, Supreme Court said - you will have to face the consequences

नई दिल्ली ,12 दिसंबर(एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा असम की स्थानीय अदालत में शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और अभय एस. ओका की पीठ ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी से कहा, यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक ले जाते हैं, तो आपको इसके परिणाम भुगतने होंगे। देश किस समस्या का सामना कर रहा है, इस पर ध्यान दिए बिना आप इस तरह के बयान दे रहे हैं।

सिंघवी ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने कहीं नहीं कहा कि कोई पैसा लिया गया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सिसोदिया को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए थी, तो शायद स्थिति कुछ और होती। सिंघवी ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता ने कभी नहीं कहा कि कोई पैसा लिया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार असम के सीएम की तरफ से पेश हुए और असम के अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली राज्य सरकार के लिए पेश हुए। पीठ द्वारा याचिका पर विचार करने में अपनी अनिच्छा दिखाने के बाद, सिसोदिया ने याचिका वापस ले ली। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी सिसोदिया द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरमा द्वारा दायर मानहानि के मामले को रद्द करने की सिसोदिया की याचिका को खारिज कर दिया था।

असम के मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अधिकारियों को बाजार दर से अधिक दाम पर पीपीई किट की आपूर्ति के संबंध में भ्रष्टाचार के ‘आधारहीन आरोप लगाने के लिए सिसोदिया के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। सिसोदिया ने दावा किया था कि 2020 में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सरमा ने अपनी पत्नी की फर्म को आपूर्ति के आदेश दिए थे। सरमा ने इन आरोपों का खंडन किया।

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