*विगत चार दशक में दो करोड़ से शुरू हुआ व्यापार 500 करोड़ तक पहुंचा*

*पूर्वांचल, बिहार, झारखंड से जुड़ा लोकपर्व अब नवाबी नगरी में भी छाया*

*बड़ी संख्या में बिहार से जुडे लोग राजधानी के सरकारी, निजी व ठेकेदारी संस्थाओं में हैं कार्यरत*

लखनऊ 28 Oct. (आरएनएस/FJ) । पूर्वांचल और विशेषकर बिहार, झारखंड के प्रसिद्ध सूर्य उपासना के महापर्व छठ पर बीते चार दशकों बाद इस बार लखनऊ में छठ पूजा का कारोबार लगभग 500 करोड़ पहुंच चुका है। मगर चार दशक पहले, गांव से ट्रैक्टर-ट्राली से सामान मंगवाया जाता थोे ताकि पूजा हो सके।

लखनऊ में छठ पूजा आयोजन करने वाले अखिल भारतीय भोजपुरी सभा के प्रमुख प्रभुनाथ राय राने दिनों की याद ताजा करते हुए शुक्रवार को तरुणमित्र से हुई एक विशेष बातचीत में बताया, कि यह छठ पूजा का बढ़ता महत्व ही है कि चार दशक पहले जो कारोबार दो करोड़ रुपए से भी कम था। आज वह कारोबार 500 करोड़ रुपए से ऊपर का हो गया है ।

लखनऊ में तकरीबन पांच लाख महिलाएं और पुरुष छठ पूजा का व्रत रखते हैं, इसमें दस लाख से ज्यादा लोग शामिल होते हंै। इसमें औसतन प्रति परिवार 7 से 15 हजार रुपए तक का खर्च आता है। हालांकि आर्थिक रूप से मजबूत परिवारों का खर्च इससे भी ज्यादा है। जानकारों के मुताबिक मौजूदा समय में यह कारोबार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। वहीं शहर के कुछ वरिष्ठजनों का मत है कि लखनऊ शहर में बडेÞ पैमाने पर बिहार, झारखंड आदि से आये लोग सरकारी, गैर सरकारी, निजी संस्थाओं के अलावा मिस्त्री, कारीगरी, ठेकेदारी आदि सेक्टरों में काम करते हैं, ऐसे में ये लोग भी यहीं पर सपरिवार छठ पर्व मनाते हैं।

ऐसे में जैसे-जैसे छठ पर्व से संबंधित साम्रगियों की डिमांड लखनऊ में बढ़ती गई, वैसे-वैसे यहां के बाजार-हाट पर्व के सामान आदि से सुसज्जित होते गये।

बिहार राज्य के मोतिहारी के रहने वाले राका कुंजन बताते हंै कि चार दशक पहले वह लखनऊ आए थे , जो अब जानकीपुरम सेक्टर आई स्थित यूनाइटेड सिटी कालोनी में रह रहे हैं, वह उस दौरान छह पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाला सूपेली और दउरा वह बनारस अथवा गोरखपुर आने-जाने वाले किसी दोस्त अथवा सहयोगी से मंगाते थे, लेकिन अब तो सीतापुर रोड समेत शहर के विभिन्न कोनों में इसका भारी कारोबार होता है।

यहां तक की महज एक सप्ताह के बाजार में छोटा से छोटा दुकानदार भी हजारो रुपए कमा लेता है।एक व्रती पूजा की बेदी के पास पांच गन्ना रखता है। ऐसे में शहर में न्यूनतम 25 लाख गन्ने की खपत है। कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र सिंह चौहान बताते है कि पीलीभीत , लखीमपुर, मुराबाद, बरेली, बुंलदशहर समेत कई जिलों ने गन्ना आता है।

इसके माध्यम से तीन से लेकर पांच करोड़ रुपये का कारोबार होता है। तराई के जिलों से गन्ना मंगाना पड़ता है। लखनऊ में अकेले 25 लाख गन्ने की डिमांड है। वहीं इंदिरानगर तकरोही शांतिनगर कॉलोनी निवासी विनीता कुमारी बताती हैं चूंकि उनका मायका पटना में है, ऐसे में वो छठ पर्व से बचपन से ही जुड़ी हुई हैं और हर साल व्रत रखती हैं।

बताया कि करीब एक दशक से वो सपरिवार लखनऊ में रह रही हैं, ऐसे में अब तो यह लगता ही नहीं है कि छठ पर्व केवल बिहार से जुड़ा है, अब तो जगह-जगह शहर में पर्व का सारा सामान मिल जाता है।

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