Is Pakistan involved in the Pahalgam terrorist attack

डिजिटल फुटप्रिंट समेत ये सबूत दे रहे संकेत

श्रीनगर ,23 अपै्रल (आरएनएस)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई है। घाटी में आतंक फैलाने में हमेशा से पाकिस्तान की भूमिका रही है और इस बार भी ऐसे संकेत मिले हैं कि पहलगाम हमले में भी पाकिस्तान का कहीं-न-कहीं हाथ है।

फोरेंसिक विशेषज्ञों, खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों द्वारा की गई संयुक्त जांच में एक योजनाबद्ध, समन्वित और बाहरी समर्थन वाले हमले की ओर इशारा करते हुए अहम जानकारी सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, फोरेंसिक विश्लेषण और जिंदा बचे लोगों के बयानों से पता चलता है कि हमलावर सैन्य स्तर के हथियार इस्तेमाल कर रहे थे और उन्नत संचार उपकरणों से लैस थे।

ये संकेत देता है कि आतंकियों ने उच्च स्तर का प्रशिक्षण लिया था और पूरी योजना बनाई थी।
हमले की सटीकता को देखते हुए अधिकारियों का मानना है कि आतंकियों को बाहरी या स्लीपर सेल के जरिए मदद दी गई थी।

सूत्रों के हवाले से बताया कि हमलावरों और पाकिस्तान में बैठे आतंकी गुटों के बीच डिजिटल फुटप्रिंट के जरिए सीधे संवाद की पुष्टि हुई है।
आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट ने पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया है, जो मुजफ्फराबाद और कराची के सुरक्षित घरों तक पहुंच रहे हैं।

खुफिया एजेंसियों का दावा है कि आतंकी पाकिस्तान में बैठे ऑपरेटिव के साथ प्रत्यक्ष रूप से संपर्क में थे।

एजेंसियों के अनुसार, आतंकवादी पूरी तैयारी के साथ आए थे। आतंकवादियों ने पीठ पर बैग टांग रखे थे, जिसमें सूखे मेवे, दवाइयां और संचार उपकरण थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादियों का समूह कुछ समय से जंगल में छिपा हुआ था और स्थानीय लोगों की मदद से पहलगाम की रेकी कर रहा था।

हमले में 3 से 4 आतंकवादी शामिल थे, जिनमें से 2 बाहरी और 2 स्थानीय थे। माना जा रहा है कि स्थानीय आतंकी बिजभेरा और त्राल के हैं।
पाकिस्तान ने कहा कि उसका घटना से कोई लेना-देना नहीं है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा पहलगाम हमले में पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली में जो हुकूमत है, उसके खिलाफ बगावत हुई पड़ी है। ये घर में पनपा हुआ है।

भारत में नागालैंड से लेकर मणिपुर और कश्मीर में लोग सरकार के खिलाफ हैं। भारत सरकार लोगों के हक को मार रही है, इसके खिलाफ लोग खड़े हो चुके हैं।

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, यह सिर्फ एक अलग-थलग आतंकी घटना नहीं थी। हमलावरों को सीमा पार से निर्देशित, सुसज्जित और समर्थित किया गया था। उनका उद्देश्य क्षेत्र को अस्थिर करना और शांति को पटरी से उतारना है।

वहीं, हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। इस संबंध में टीआरएफ का एक अपुष्ट बयान भी सामने आया है।

16 अप्रैल को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख असीम मुनीर ने कश्मीर को लेकर विवादित बयान दिया था।

उन्होंने कहा था, हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है- कश्मीर हमारी गले की नस थी, यह हमारी गले की नस रहेगी, हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे।

वहीं, 19 अप्रैल को रावलकोट में हुई रैली में लश्कर कमांडर अबू मूसा ने कहा था कि जिहाद जारी रहेगा, कश्मीर में फिर बंदूकें गरजेंगी और सिर कटते रहेंगे।

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