ऐसे समय में जब देश चीन-पाक सीमा पर सुरक्षा की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है, सेना के आधुनिकीकरण और तीनों सेनाओं के बीच रणनीतिक दृष्टि से बेहतर तालमेल बनाने वाले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष यानी सीडीएस जनरल बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर हादसे में मृत्यु देश के लिये अपूरणीय क्षति है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी रावत की आवश्यकता देश की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न आयामों के लिए अपरिहार्य थी। जब राजग सरकार ने देश की सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल और कारगर निर्णय क्षमता के लिये सीडीएस पद सृजित किया तो वे देश की पहली पसंद थे। थल सेनाध्यक्ष के कार्यकाल के रूप में उनका योगदान उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिये अतिरिक्त योग्यता के रूप में देखा गया। दुखद ही है कि इस हादसे में बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, चालक दल के सदस्यों व जवानों समेत तेरह लोगों को देश ने खोया है। एक लेफ्टिनेंट जनरल के पुत्र बिपिन रावत ने सेना को अपना भविष्य बनाने के संकल्प के साथ देश की सेवा में एक बेदाग भूमिका निभायी। हालांकि, अपनी स्पष्टवादिता के चलते कई बार उनके बयानों को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आई हैं, लेकिन शत्रुओं के खिलाफ उनकी रणनीति स्पष्ट और लक्ष्यों को हासिल करने वाली थी। पुलवामा हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी गई थी। कारगर कार्यशैली के चलते ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बेहतर तालमेल के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अभियानों को बेहतर ढंग से अंजाम दे पाये। उन्हें इस बात का श्रेय दिया जा सकता है कि मौजूदा रक्षा चुनौतियों के बीच वे भारतीय सेना के तीनों अंगों के संरचनात्मक परिवर्तन के माध्यम बने। इसके जरिये सेना के तीनों अंगों में बेहतर तालमेल स्थापित हो पाया। उम्मीद थी कि अपने बचे एक साल के कार्यकाल में वे देश की सुरक्षा से जुड़े बाकी मुद्दों को निर्णायक दिशा दे पायेंगे। मृत्यु से एक दिन पूर्व एक कार्यक्रम में जैविक युद्ध के खतरे के प्रति चेताकर उन्होंने नई सुरक्षा चुनौतियों की ओर दुनिया का ध्यान खींचा था।
निस्संदेह, देश का हर महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने आप में विशिष्ट होता है, उसका कोई विकल्प नहीं होता। ऐसे में उसकी रक्षा देश का दायित्व ही होता है। तमिलनाडु में कुन्नूर के निकट हुए हादसे ने महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े किये हैं। यूं तो वे वायुसेना के जांचे-परखे एम.आई-17, बी-5 के जरिये यात्रा कर रहे थे, जो उन्नत किस्म का हेलिकॉप्टर है, लेकिन इस हादसे ने इसकी उपादेयता पर नये सिरे से बहस छेड़ी है। हालांकि, बकौल रक्षामंत्री इस हादसे की त्रिस्तरीय जांच की जा रही है, लेकिन देश को आश्वस्त करना होगा कि इस हादसे से सबक लेकर देश की अनमोल हस्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। निस्संदेह, दुर्घटना की हकीकत जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन देश के रक्षा के महत्वपूर्ण निर्णयों से जुड़े बड़े सैन्य अधिकारी की हवाई दुर्घटना मौत में साजिश के कोण से भी जांच होनी चाहिए। विगत में हमने देश के अपने क्षेत्रों के अनमोल रत्नों को संदिग्ध हादसों में खोया है। देश में युद्धक विमानों व हेलिकॉप्टर हादसों से देश को फिर कोई बड़ी क्षति न उठानी पड़े, इस दिशा में गंभीर प्रयासों की जरूरत है। ताकि देश यह भी जान सके कि यह हादसा सिर्फ कोहरे के कारण कम दृश्यता के कारण हुआ है या फिर इसके पीछे कुछ तकनीकी खामियां थीं। आज जब देश आर्थिक व तकनीक के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर रहा है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश की महत्वपूर्ण हस्तियों की हवाई यात्रा आधुनिक तकनीकी सुविधा से दुर्घटनाओं से निरापद रहे। यूं तो हर भारतीय का जीवन महत्वपूर्ण है, फिर एक जवान का जीवन और महत्वपूर्ण है, तो उन जवानों का नेतृत्व करने वाले सेनानायक का जीवन तो अनमोल होता है, जिसकी कारगर सुरक्षा की जिम्मेदारी देश की है। बहरहाल, जनरल बिपिन रावत और हादसे में मारे गये अन्य सैनिक अधिकारियों व जवानों के बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र याद रखेगा।