Indian government issued a statement regarding the Dalai Lama case

नई दिल्ली 05 Jully (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)  तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के हाल के बयान के संदर्भ में भारत ने स्पष्ट किया कि वह आस्था से संबंधित मामलों पर कोई रुख नहीं अपनाता है। शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा और उनके उत्तराधिकारी को लेकर चल रहे विवाद पर अपना आधिकारिक बयान जारी किया है।

इस मामले को लेकर भारत ने साफ लफ्जों में कहा है कि आस्था और धर्म की मान्यताओं और प्रथाओं से संबंधित मामलों पर भारत टिप्पणी नहीं करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दलाई लामा को लेकर मीडिया के सवालों के जवाब में कहा,”हमने दलाई लामा संस्था की निरंतरता के बारे में परम पूज्य दलाई लामा द्वारा दिए गए बयान से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं।

भारत सरकार आस्था और धर्म की मान्यताओं और प्रथाओं से संबंधित मामलों पर कोई रुख नहीं अपनाती है और इस पर टिप्पणी नहीं करती है। सरकार ने हमेशा भारत में धर्म की स्वतंत्रता को बरकरार रखा है और ऐसा करना जारी रखेगी।”

हालांकि इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि दलाई लामा के सभी अनुयायी चाहते हैं कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता को स्वयं अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहिए। रिजिजू ने स्पष्ट किया था कि वह भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं और न ही वह इस संबंध में चीन द्वारा दिये गए बयान पर कोई राय व्यक्त कर रहे हैं।

बता दें कि रिजिजू ने एक बयान में कहा था, ‘‘दलाई लामा मुद्दे पर किसी भ्रम की कोई जरूरत नहीं है। दुनिया भर में बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले और दलाई लामा को मानने वाले सभी लोग चाहते हैं कि अपने उत्तराधिकार पर फैसला वही करें।

मुझे या सरकार को कुछ कहने की कोई जरूरत नहीं है। अगला दलाई लामा कौन होगा, इसका फैसला वही करेंगे।’’ वहीं किरण रिजिजू की इस टिप्पणी पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन ने भारत से तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर सावधानी से काम करने की अपील की है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर इसका प्रभाव न पड़े।

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