India ranks third in the list of millionaires, will be ahead of China by 2032

नई दिल्ली 20 Oct. (Rns/FJ): गरीबी, मुद्रास्फीति और भूख के बावजूद भारत में करोड़पतियों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। दुनिया के पहले वैश्विक अध्ययन में व्यक्तिगत रूप से 830 करोड़ रुपये (100 मिलियन डॉलर) से अधिक की संपत्ति के मालिक के साथ भारत करोड़पतियों की सूची में तीसरे स्थान पर है। दुनिया के 25,490 करोड़पतियों में से भारत 1132 करोड़पतियों के साथ ब्रिटेन, रूस और स्विट्जरलैंड जैसे देशों को पछाड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। अंतराष्ट्रीय निवेश प्रवास सलाहकार फर्म हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2032 तक भारत 80 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ करोड़पतियों के मामले में चीन (नंबर 2) से आगे निकल जाएगा।

एक आर्थिक पत्रकार व लेखक मिशा ग्लेनी ने कहा कि लगभग 57 प्रतिशत के साथ अगले दशक में एशिया में करोड़पतियों की वृद्धि यूरोप और अमेरिका की तुलना में दोगुनी होगी। एशिया में भी मुख्य रूप से चीन और भारत में करोड़पतियों की वृद्धि होगी। विश्व की कुल 4 प्रतिशत की आबादी वाला देश अमेरिका दुनिया के 25,490 करोड़पतियों में से 9,730 (38 प्रतिशत) के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद चीन और भारत क्रमश: 2,021 और 1,132 करोड़पतियों के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

ब्रिटेन 968 करोड़पतियों के साथ चौथे और जर्मनी 966 के साथ पांचवें स्थान पर है। स्विट्जरलैंड (808), जापान (765), कनाडा (541), ऑस्ट्रेलिया (463), और रूस (435) शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 के दशक के अंत में 30 मिलियन डालर को ‘सुपर अमीर’ की परिभाषा माना जाता था, लेकिन तब से संपत्ति की कीमतों में बहुत वृद्धि हुई है और अब करोड़पति का दर्जा हासिल करने के लिए 100 मिलियन डॉलर का नया बेंचमार्क बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 20 वर्षों में करोड़पतियों की संख्या दोगुनी हो गई है और इसमें नाटकीय ढंग से तेजी आई है। करोड़पतियों की सूची में सफल तकनीकी कंपनियों की स्थापना करने वाले युवा उद्यमियों की संख्या बढ़ी है, हालांकि सूची में अब भी 1946 से 1964 के बीच पैदा हुए लोग हावी हैं।

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