India hits back at Pakistan in UNGA

कहा-उसका हिंसा पर बोलना सबसे घटिया पाखंड

नईदिल्ली,28 सितंबर (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) भारत ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कश्मीर पर दिए गए बयान को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कड़ी आलोचना की है।

प्रधानमंत्री शहबाज ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वापस लेने और शांतिपूर्ण समाधान के लिए पाकिस्तान से बातचीज करने की बात कही थी।इसके बाद भारत ने राइट ऑफ रिप्लाई के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उसका हिंसा पर बोलना सबसे बड़ा पाखंड है।

भारतीय राजनयिक भाविका मंगलनंदन ने कहा, आज यह महासभा एक मजाक का गवाह बनी है। सेना द्वारा चलाया जाने वाला एक देश जिसकी प्रतिष्ठा आतंकवादआतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध के लिए है, उसके पास दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमले का दुस्साहस है।उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद का इस्तेमाल अपने पड़ोसियों के खिलाफ किया है। उसने हमारी संसद, मुंबई और तीर्थयात्रा के रास्तों पर हमले किए हैं। ऐसे में पाकिस्तान का हिंसा के खिलाफ बोलना सबसे घटिया पाखंड है।

मंगलनंदन ने कहा, हैरानी वाली बात है कि जिस देश का इतिहास चुनावों में गड़बड़ी वाला है, वह एक लोकतंत्र में राजनीतिक विकल्प की बात करता है। सच तो यह है कि पाकिस्तान की नजर हमारी जमीन पर है। उसने लगातार आतंकवाद का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर के चुनाव में किया है, जो भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है।उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान को यह समझना चाहिए की भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए उसे बड़े दुष्परिणाम भुगतने होंगे।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज ने कहा था, शांति की दिशा में आगे बढऩे के बजाय भारत ने जम्मू-कश्मीर पर सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के अपने वादों से मुंह मोड़ लिया है। ये प्रस्ताव कश्मीर के लोगों के लिए जनमत संग्रह का आदेश देते हैं ताकि वे आत्मनिर्णय के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर सकें।उन्होंने कहा, भारत को अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला वापस लेना चाहिए और शांतिपूर्ण समाधान के लिए पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, फिलिस्तीन की तरह जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भी अपनी आजादी के लिए 1 सदी तक संघर्ष किया है, लेकिन भारत ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाकर उन पर अत्याचार किया है।उन्होंने कहा,  9 लाख भारतीय सैनिक लंबे कर्फ्यू, न्यायेतर हत्याओं और युवा कश्मीरियों के अपहरण सहित कठोर उपायों के जरिए कश्मीर के लोगों को आतंकित करते हैं। भारत कश्मीरी जमीन और संपत्तियों को जब्त कर रहा है और बाहरी लोगों को बसा रहा है।

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