How will same-sex couples get social benefitsSupreme Court asked questions to the central government

नई दिल्ली 27 अपै्रल,(एजेंसी)।  सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा कि समलैंगिक जोड़ों को उनकी वैवाहिक स्थिति की कानूनी मान्यता के बिना भी संयुक्त बैंक खाते या बीमा पॉलिसियों में भागीदार नामित करने जैसे बुनियादी सामाजिक लाभ देने का तरीका खोजा जाए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि जब अदालत कहती है कि मान्यता को विवाह के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता नहीं है, तो इसका मतलब मान्यता हो सकती है जो उन्हें कुछ लाभों का हकदार बनाती है, और दो लोगों के जुड़ाव को विवाह के बराबर नहीं माना जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया कि समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी मंजूरी संसद के अधिकार क्षेत्र में है।

पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि एक बार जब आप कहते हैं कि साथ रहने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, तो यह राज्य का दायित्व है कि साथ रहने के सभी सामाजिक प्रभाव को कानूनी मान्यता प्राप्त हो, और अदालत विवाह में बिल्कुल नहीं जा रही है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत गठजोड़ की व्यापक भावना का कुछ तत्व चाहती है और अदालत इस तथ्य के बारे में भी सचेत है कि देश में प्रतिनिधि लोकतंत्र को भी बहुत कुछ हासिल करना चाहिए। पीठ ने कहा कि बैंकिंग, बीमा, प्रवेश आदि जैसी सामाजिक आवश्यकताएं होंगी जहां केंद्र को कुछ करना होगा।

मेहता ने कहा कि सरकार कुछ मुद्दों से निपटने पर विचार कर सकती है, समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता दिए बिना सामना करना पड़ रहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से 3 मई को वापस आने के लिए कहा, सामाजिक लाभों पर अपनी प्रतिक्रिया के साथ कि समान-लिंग वाले जोड़ों को उनकी वैवाहिक स्थिति की कानूनी मान्यता के बिना भी अनुमति दी जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से कहा, हम आपकी बात मानते हैं कि अगर हम इस क्षेत्र में प्रवेश करते हैं..आपने बहुत शक्तिशाली तर्क दिया है कि आप कानून बनाएंगे.. और यह संसद के लिए है, यह विधायिका का अखाड़ा होगा.. तो, अब क्या? बेंच ने सवाल किया कि सरकार सहवासित संबंधों के साथ क्या करना चाहती है?

पीठ ने मेहता से आगे पूछा, सुरक्षा और सामाजिक कल्याण की भावना कैसे बनाई जाती है? और यह भी सुनिश्चित करें कि ऐसे संबंध समाज में बहिष्कृत न हों। शीर्ष अदालत समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

*******************************

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *