13वें महाधिवेशन में सर्वसम्मति से लिया गया फैसला
रांची,15 अपै्रल (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। झामुमो के 13वें महाधिवेशन में सीएम हेमंत सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है. 38 वर्षों तक पार्टी के संस्थापक और दिग्गज नेता शिबू सोरेन के अध्यक्ष रहने के बाद अब ये जिम्मेदारी उनके बेटे हेमंत सोरेन को मिली है.
15 अप्रैल 2025 को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया. झामुमो के 13वें महाधिवेशन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया. इससे पहले जेएमएम के 13 वें महाधिवेशन में केन्द्रीय समिति सदस्यों की जिलावार घोषणा की गई. केन्द्रीय समिति सदस्य में कुल 284 सदस्य हैं.
इसकी घोषणा पार्टी के केन्द्रीय महासचिव विनोद पांडे ने की. केन्द्रीय समिति सदस्य में पार्टी के विधायक, पूर्व विधायक, सांसद भी शामिल हैं. नलिन सोरेन ने शिबू सोरेन को पार्टी का संस्थापक संरक्षण का प्रस्ताव रखा. मथुरा महतो ने समर्थन किया. जिसके बाद सर्वसम्मति से इसे पारित किया गया.
कार्यक्रम में गुरु जी शिबू सोरेन ने हेमंत सोरेन को पार्टी का केन्द्रीय अध्यक्ष बनाने की घोषणा की. जिसके बाद मंच पर नेताओं ने माला पहनाकर हेमंत सोरेन को बधाई दी. शिबू सोरेन के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए हेमंत सोरेन को सर्वसम्मति से इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना 1972 में शिबू सोरेन के नेतृत्व में हुई थी. शिबू सोरेन ने महाजनों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया. लोगों ने उन्होंने इतना काम किया कि लोग उन्हें दिशोम गुरु कहने लगे. झामुमो शुरू में आदिवासी अधिकारों, जल-जंगल-जमीन के संरक्षण और झारखंड की क्षेत्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्षरत रही है.
शिबू सोरेन ने लंबे समय तक पार्टी को नेतृत्व प्रदान किया और इसे झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति बनाया. हालांकि, उम्र और स्वास्थ्य कारणों से उनकी सक्रियता कम हो गई थी, जिसके चलते हेमंत सोरेन को पहले 2015 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था और अब उन्हें केंद्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौप दी गई है.
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने 2019 और 2024 के विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी ने पहले 30 और फिर 34 सीटें जीतीं. 2024 के चुनाव में झामुमो के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने 81 में से 56 सीटें हासिल कीं, जो पार्टी के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
झामुमो का केंद्रीय अध्यक्ष बनने के बाद हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर कहा कि यह बदलाव झामुमो की विरासत को और मजबूत करेगा. उन्होंने शिबू सोरेन के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके पिता ने पार्टी को एक आंदोलन के रूप में स्थापित किया, और अब इसे राष्ट्रीय मंच पर ले जाने की जिम्मेदारी उनकी है.
हेमंत सोरेन ने झामुमो को न केवल झारखंड में मजबूत किया, बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाने की दिशा में कदम उठाए हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत के नेतृत्व में झामुमो ने 30 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बाहर किया.
इंडिया गठबंधन (झामुमो, कांग्रेस, राजद) ने 47 सीटें हासिल कीं. इसके बाद उन्होंने 2024 के चुनाव में झामुमो ने 34 सीटों के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, और गठबंधन ने 56 सीटें जीतीं. हेमंत ने बरहेट सीट से भाजपा के गमलियल हेम्ब्रम को 39,791 मतों से हराया.
हेमंत सोरेन का अध्यक्ष बनना झामुमो के लिए एक पीढ़ीगत बदलाव का संकेत है.
उनके नेतृत्व में पार्टी ने न केवल स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी प्रासंगिकता साबित की. यह बदलाव झारखंड की राजनीति में स्थिरता और निरंतरता का प्रतीक है, क्योंकि हेमंत पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने लगातार दो बार सत्ता में वापसी की और चार बार मुख्यमंत्री बने.
शिबू सोरेन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए हेमंत ने झामुमो को एक आधुनिक और गतिशील संगठन में बदलने का प्रयास किया है. उनके सामने चुनौती होगी कि वे पार्टी की मूल विचारधारा को बनाए रखते हुए इसे नए युग की जरूरतों के अनुरूप ढालें.
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