नई दिल्ली 29 Nov, (एजेंसी): कोरोना टीकाकरण की वजह से कथित मौतों को लेकर केंद्र सरकार ने कोई जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि मृतकों व उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है, लेकिन टीके के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। दरअसल सरकार का यह हलफनामा दो युवतियों के माता-पिता द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया है, जिनकी पिछले साल कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हो गई थी।
सरकान ने अपने हलफनामे में कहा कि जिन मामलों में वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हुई है, ऐसे लोगों के परिजन सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करके मुआवजे की मांग कर सकते हैं, क्योंकि यही एकमात्र उपाय है। याचिका में वैक्सीनेशन के बाद होने वाले प्रतिकूल प्रभावों का जल्द पता लगाने और वक्त पर इलाज के वास्ते एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए मौतों की जांच और एक एक्सपर्ट मेडिकल बोर्ड की मांग की गई है। पिछले हफ्ते इस याचिका पर अपना हलफनामा दाखिल करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था वैक्सीनेशन के बाद होने वाली मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहाराना और मुआवजे की मांग करना कानूनी रूप से एक सही कदम नहीं है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव के तहत इस्तेमाल में होने वाली कोरोना वैक्सीन तीसरे पक्ष द्वारा बनाई जाती है। इन्हें सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। केंद्र ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। जिसका मन हो और जो सुरक्षित महसूस करे वो वैक्सीन लगवा ले। मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीनेशन ड्राइव के तहत जो वैक्सीन इस्तेमाल की जाती है, उसे कोई और बनाता है। भारत के साथ-साथ बाकी देशों में भी इसको रिव्यू किया जाता है और फिर इसे सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है।
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