Former judges' advice to Amit Shah, said- do not misinterpret the Salwa Judum verdict

नईदिल्ली,25 अगस्त (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है।

पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सलवा जुडूम फैसले की गलत व्याख्या न की जाए और इसको लेकर नाम-निंदा से भी बचा जाए।

पूर्व न्यायाधीशों ने शाह की सार्वजनिक टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और जोर दिया कि सलवा जुडूम का फैसला, स्पष्ट या परोक्ष रूप से, नक्सलवाद या उसकी विचारधारा को समर्थन नहीं देता है।

संयुक्त बयान 18 पूर्व न्यायाधीशों वाले समूह ने की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे कुरियन जोसेफ, मदन बी लोकुर और जे चेलमेश्वर भी शामिल हैं।

बयान में कहा, किसी उच्च राजनीतिक पद पर बैठे अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर नकारात्मक प्रभाव पडऩे की संभावना है, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को झटका लगेगा। भारत के उपराष्ट्रपति के पद के प्रति सम्मान के कारण नाम-गाली से बचना बुद्धिमानी होगी।

बयान में कहा गया कि उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रचार अभियान वैचारिक हो सकता है, लेकिन यह शालीनता और गरिमा के साथ चल सकता है। उन्होंने सलाह दी कि किसी भी उम्मीदवार की तथाकथित विचारधारा की आलोचना से बचना चाहिए।

इस बयान ने विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की है। बयान का पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके पटनायक, अभय ओका, गोपाल गौड़ा, विक्रमजीत सेन समेत कई ने अपना समर्थन दिया है।

केंद्रीय मंत्री शाह ने शुक्रवार को केरल में कहा था, सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने नक्सलवाद की मदद करने के लिए सलवा जुडूम पर फैसला सुनाया था।

अगर सलवा जुडूम पर फैसला नहीं सुनाया गया होता, तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। यही वो सज्जन थे, जो सलवा जुडूम पर फैसला देने वाली विचारधारा से प्रेरित थे। रेड्डी ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि फैसला उन्होंने नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।

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