Foreigners started returning, preparations for Chhath festival started

गोरखपुर 29 Oct. ,(आरएनएस/FJ)। उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वांचल इलाके में प्रमुखता से मनाया जाने वाले पर्व छठ की तैयारियां शुरू हो गयी है । सूर्य की उपासना के पर्व के रूप में मनाया जाने वाला छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यानी 28 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होगा ।

चार दिवसीय इस पर्व की तैयारिया जोर शोर से चल रही है । घरों में साफ – सफाई के साथ खरीदारी शुरू हो गयी है । जिसके चलते बाजारों में चहल – पहल बढ़ गई है । नदियों व तालाबों के किनारे पूजन स्थलों को साफ किया जा रहा है । मुंबई , दिल्ली , गुजरात व कोलकाता आदि महानगरों से बड़ी संख्या में परदेसी अपने घर को लौट रहे हैं , जिसके चलते ट्रेनों और बसों में भीड़ बढ़ गई है ।

डाला छठ व्रत का मुख्य प्रसाद ठेकुआ है । यह गेहूं के आटा , गुड़ और देशी घी से बनाया जाता है । प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पकाया जाता है । ऋतु फल में नारियल , केला , पपीता , सेब , अनार , कंद , सुथनी , गागल , ईख , सिघाड़ा , शरीफा , कंदा , संतरा , अनन्नास , नींबू , पत्तेदार हल्दी पत्तेदार अदरक , कोहड़ा , मूली , पान , सुपारी , मेवा आदि का सामर्थ्य के अनुसार गाय के दूध के साथ अर्घ्य दिया जाता है ।

यह दान बांस के दऊरा , कलसुप नहीं मिलने पर पीतल के कठवत या किसी पात्र में दिया जा सकता है । नहाय – खाय के दूसरे दिन सभी व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं । सुबह से व्रत के साथ इसी दिन गेहूं आदि को धोकर सुखाया जाता है । दिन भर व्रत के बाद शाम को पूजा करने के बाद व्रती खरना करते हैं । इस दिन गुड़ की बनी हुई चावल की खीर और घी में तैयार रोटी व्रती ग्रहण करेंगे ।

कई जगहों पर खरना प्रसाद के रूप में अरवा चावल , दाल , सब्जी आदि भगवान भाष्कर को भोग लगाया जाता है । इसके अलावा केला , पानी सिघाड़ा आदि भी प्रसाद के रूप में भगवान आदित्य को भोग लगाया जाता है । खरना का प्रसाद सबसे पहले व्रती खुद बंद कमरे में ग्रहण करते हैं ।

खरना का प्रसाद मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है । चार दिवसीय उपासना का पर्व 28 नवंबर को नहाय खाय , 29 अक्टूबर को खरना , 30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य और 31 अक्टूबर को उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देकर समापन किया जाता है ।

कोविड -19 के चलते यहां यह पर्व दो वर्ष तक नहीं मनाया गया । इस वर्ष बड़े धूमधाम से यह पर्व मनाया जा रहा है ।

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