For the first time, Chandrayaan-4 will go into space in pieces

पांच साल में 70 सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी

नई दिल्ली 21 Aug, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-4 और 5 की डिजाइन तैयार है। हमें अब सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने का इंतजार है। उन्होंने यह भी कहा कि अगले पांच साल में 70 सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है।

चंद्रयान-4 मिशन चंद्रमा की सतह से पत्थर और मिट्टी का सैंपल लेकर आएगा। उसकी चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। मिशन में स्पेस डॉकिंग होगा। इसका मतलब है कि चंद्रयान-4 को टुकड़ों में अंतरिम में भेजा जाएगा। इसके बाद उसे अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा। ऐसा पहली बार होने जा रहा है। डॉ. सोमनाथ ने इंडियन स्पेस एसोसिएशन के ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के एक क्रार्यक्रम से अलग मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के बाद हमारे पास चंद्रमा को लेकर कई मिशन है। इससे पहले इसरो अधिकारियों ने कहा था कि चंद्रयान-4 साल 2028 में लॉन्च किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसरो पांच साल में जो 70 सैटेलाइट छोड़ेगा उसमें निचली कक्षा में स्थापित होने वाले सैटेलाइट भी होंगे। इससे विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों की जरूरतें पूरी होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि चार सैटेलाइट रीजनल नेविगेशन सिस्टम के होंगे।

एसएसएलवी में दस से ज्यादा कंपनियों ने दिखाई रुचि
इसरो के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि 10 से अधिक कंपनियों और कंसोर्टिया ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के निर्माण में रुचि दिखाई है, जिनमें से कुछ को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संभावित बोलीदाताओं के रूप में चुना गया है। इसरो प्रमुख ने कहा कि चयनित उद्योग भागीदार पहले दो साल की अवधि में इसरो की सहायता से दो एसएसएलवी विकसित करेगा और फिर छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित करने के लिए रॉकेट बनाने का काम करेगा।

एआईसीटीई और भारतीय अंतरिक्ष संघ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 100 से अधिक समूह/संघ आगे आए थे और एसएसएलवी के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में रुचि दिखाई थी। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 16 अगस्त को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के प्रक्षेपण के बाद घोषणा की कि प्रक्षेपण यान बनाने का काम पूरा हो गया है और इसरो बड़े पैमाने पर रॉकेट बनाने के लिए उद्योग को हस्तांतरित करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि इससे उद्योगों को छोटे रॉकेट बनाने में अपनी क्षमता व योग्यता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

अंतरिक्ष कार्यक्रम में निवेश से लाखों रोजगार का हुआ सृजन
डॉ. स्वामीनाथ ने कहा, अंतरिक्ष कार्यक्रम में निवेश से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से लाखों रोजगार का सृजन हुआ। हमने अब तक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में जो भी निवेश किए हैं, उसका समाज को काफी लाभ हुआ है। कई बार लोगों को यह अहसास नहीं होता है कि इस कार्यक्रम का क्या प्रभाव होगा? हर अंतरिक्ष कार्यक्रम के कई तरह से लोगों के जीवन और समाज पर प्रभाव पड़ता है। इसका अर्थव्यवस्था, रोजगार, कृषि, सुरक्षा, सामाजिक प्रभाव, प्राकृतिक संसाधन में सुधार, डिजिटल कनेक्टिवटी, प्रशासनिक समेत कई क्षेत्रों में सुधार होते हैं। उन्होंने कहा, निवेश का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने और मापने के लिए हमने हाल ही में कुछ विशेषज्ञों के साथ मिलकर अध्ययन शुरू किया।

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