ED's action saves life in Congress

ईडी की कार्रवाई से कांग्रेस में जान. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय यानी की पूछताछ 23 जून को होनी है। अगर उनकी सेहत ठीक रही तो पूछताछ होगी नहीं तो आगे की कोई नई तारीख मिलेगी। इस बीच तीन दिन लगातार राहुल गांधी से पूछताछ हुई है और कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता तीनों दिन दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन करते रहे।

कांग्रेस के दोनों मुख्यमंत्री अपना राज-काज छोड़ कर दिल्ली में डेरा डाले रहे और लुटियन की दिल्ली से लेकर बदरपुर बॉर्डर तक भागदौड़ करते रहे। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता भीड़ जुटा रहे हैं, जिससे मीडिया में खबरें बन रही हैं। देश के सभी राज्यों में ईडी कार्यालय के बाहर भी कांग्रेस का प्रदर्शन चल रहा है।

तभी सवाल है कि क्या ईडी की कार्रवाई कांग्रेस के लिए मौका है? कांग्रेस के कई नेता और यहां तक कि कांग्रेस विरोधी रहे बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता भी इसे एक मौका मान रहे हैं। इसकी तुलना बिहार में लालू प्रसाद पर हुई कार्रवाई से की जा रही है। इसी तरह 1997 में लालू प्रसाद के पीछे सीबीआई पड़ी थी।

लालू भी पूरे तामझाम के साथ पूछताछ के लिए पहुंचे थे और एक समय तो ऐसी स्थिति आई थी उनकी गिरफ्तारी से पहले तब के सीबीआई अधिकारी ने सेना बुलाने की पहल कर दी थी। उस पूरे ड्रामे के बाद आठ साल और लालू प्रसाद की पार्टी ने बिहार में राज किया। हालांकि राहुल अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं लेकिन तुलना कर रहे लोग गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं।

प्रशांत भूषण जैसे वकील और सामाजिक कार्यकर्ता ईडी की कार्रवाई की तुलना 1977 में हुई इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से कर रहे हैं। उन्होंने ट्विट करके कहा कि जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की जिद पकड़ी। तब प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण कानून मंत्री थे और उन्होंने इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने से मना किया था।

लेकिन चरण सिंह की जिद के चलते इंदिरा गिरफ्तार हुईं और फिर वहीं से कांग्रेस की वापसी हुई। सो, प्रशांत भूषण सहित कई लोग इस पूरे मामले को 1977 के चश्मे से देख रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के सलाहकार रहे सुधींद्र कुलकर्णी ने इस मामले में राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही इस कार्रवाई के विरोध में वे राहुल के साथ हैं। उनको लग रहा है कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के विरोध की यह निर्णायक लड़ाई है।

सो, ज्यादातर जानकारों का मानना है कि नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ हो रही ईडी की कार्रवाई किसी न किसी तरह से कांग्रेस को और समूचे विपक्ष को फायदा पहुंचाएगा।

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