Delhi court will take decision on closing POCSO case against Brij Bhushan on March 2.

नई दिल्ली ,11 जनवरी (एजेंसी)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक किशोरी पहलवान द्वारा दर्ज कराए गए यौन उत्पीडऩ के मामले में दिल्ली पुलिस की रद्दीकरण रिपोर्ट को स्वीकार करने या न करने पर आदेश की घोषणा 2 मार्च तक टाल दी।

पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश छवि कपूर (एएसजे) ने कहा कि मामले में कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है।

पुलिस की रद्दीकरण रिपोर्ट 15 जून, 2023 को दायर की गई थी और पिछली सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा इसका विरोध नहीं किया गया था।

1 अगस्त, 2023 को कथित पीडि़ता और उसके पिता ने मामले में पुलिस की रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं जताते हुए पुलिस जांच पर संतुष्टि जताई थी।

उन्होंने एएसजे कपूर के समक्ष कक्ष में कार्यवाही में अपना बयान दर्ज कराया था।

पिछले साल 4 जुलाई को कोर्ट ने पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट पर शिकायतकर्ता से जवाब मांगा था। पुलिस द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में दायर की गई 550 पेज की रिपोर्ट में कहा गया था कि नाबालिग द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई पुष्टिकारक सबूत नहीं मिला।

दिल्ली पुलिस ने कहा, पॉक्सो मामले में जांच पूरी होने के बाद हमने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें शिकायतकर्ता यानी पीडि़ता के पिता और खुद पीडि़ता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

नाबालिग लड़की द्वारा लगाए गए आरोपों पर एफआईआर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।

हालांकि, नाबालिग पहलवान के पिता ने बाद में आगे बढ़कर दावा किया कि उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीडऩ की झूठी शिकायत दर्ज करााईई थी।

पिता ने आरोप लगाया कि उनकी हरकतें उनकी बेटी के प्रति डब्ल्यूएफआई प्रमुख के कथित पक्षपातपूर्ण व्यवहार पर गुस्से और हताशा से प्रेरित थीं।

सूत्रों के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 164 के तहत नाबालिग लड़की का दूसरा बयान 5 जून को अदालत में दर्ज किया गया था, जिसमें उसने बृजभूषण पर यौन उत्पीडऩ का आरोप नहीं लगाया था।

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