पार्टी ने किया किनारा
नईदिल्ली ,20 अपै्रल (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए बयान के बाद बवाल मच गया है। इसे लेकर जहां विपक्ष ने सरकार को घेरा है वहीं, खुद भाजपा ने भी इससे किनारा कर लिया है।
भाजपा ने इसे निजी टिप्पणी बताते हुए कहा कि पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
दुबे के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी न्यायपालिका को लेकर टिप्पणी की थी।
दुबे ने कहा था, देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए।
इस देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं, उसके जिम्मेदार केवल मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना साहब हैं। संसद देश का कानून बनाती है। क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे।
दुबे ने कहा था, राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। आप नियुक्ति प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? आपने नया कानून कैसे बना दिया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं।
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को लंबित विधेयकों पर 3 महीने के भीतर फैसला लेने को कहा था।
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा था, लोगों में यह आशंका है कि जब डॉक्टर अंबेडकर ने संविधान लिखा था तो उसमें विधायिका और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से लिखे गए थे। भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता है और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं।
कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर लिखा, भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।
पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है, क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं।
*****************************