Big decision of Bombay High Court Even after divorce, Muslim woman is entitled to maintenance from her ex-husband

मुंबई 07 Jan, (एजेंसी) : बॉम्बे हाई कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के हक में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तलाक के बाद गुजारा भत्ते से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए कोई भी तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व पति से बिना किसी शर्त के भरण पोषण पाने की हकदार है। भले ही उसने दूसरी शादी ही क्यों न कर ली हो। बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश पाटिल ने इस मामले में 2 जनवरी को सुनाए अपने फैसले में कहा, ‘मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम- 1986 (MWPA) का सार यह है कि एक तलाकशुदा महिला अपने भरण-पोषण के लिए पूर्व पति से गुजारा भत्ता लेने की हकदार है। इसमें यह मायने नहीं रखता कि उसने दूसरी शादी कर ली है।

जस्टिस पाटिल ने इसके साथ ही शख्स द्वारा अपनी पूर्व पत्नी को एकमुश्त गुजारा भत्ता देने के पिछले दो आदेशों को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि धारा 3 (1) (ए) के तहत पति और पत्नी के बीच हुआ तलाक अपने आप में पत्नी के लिए भरण-पोषण का दावा करने के लिए पर्याप्त है। ऐसा अधिकार… तलाक के दिन ही साफ हो जाता है। बता दें कि इस जोड़े की शादी फरवरी 2005 में हुई थी और दिसंबर 2005 में एक बेटी का जन्म हुआ। इसके बाद पति काम के लिए विदेश चले गए, तो जून 2007 में, पत्नी और उनकी बेटी अपने माता-पिता के साथ रहने चली गईं। इसके बाद अप्रैल 2008 में पति ने महिला को रजिस्टर्ड डाक से तलाक दे दिया।

ऐसे में महिला ने MWPA के तहत अपने और अपनी बेटी के भरण-पोषण के लिए आवेदन किया। अगस्त 2014 में महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए चिपलुन मजिस्ट्रेट ने उन्हें 4.3 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। फिर मई 2017 में खेड़ सेशन कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 9 लाख रुपये कर दिया। ऐसे में उस शख्स ने कोर्ट ने इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां जस्टिस पाटिल को बताया गया कि उसने अप्रैल 2018 में पत्नी को तलाक दिया था और अक्टूबर 2018 में महिला ने दूसरी कर ली थी। पति के वकील शाहीन कपाड़िया और वृषाली मेनदाद ने कहा कि वह उसे गुजारा भत्ता देने के लिए उत्तरदायी नहीं है, क्योंकि उसने दूसरी शादी कर ली है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह पुनर्विवाह होने तक ही इस राशि की हकदार थी।

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