Bhima Koregaon case Supreme Court postpones hearing on bail plea of human rights activist Jyoti Jagtap

नई दिल्ली ,01 नवंबर (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भीमा कोरेगांव मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि वह नवंबर में ही याचिका पर सुनवाई करेगी और मामले की सुनवाई इस महीने की 30 तारीख को करना तय किया।

पीठ ने टिप्पणी की कि उसे यह पता लगाना होगा कि क्या ज्योति का मामला उसी मामले में अन्य सह-अभियुक्तों को जमानत देने में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित मापदंडों के भीतर आता है।

ज्योति की ओर से पेश वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे चुकी है।
दोनों कार्यकर्ताओं को इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन कैदी के रूप में उनकी 5 साल की कैद की अवधि को देखते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत ने सितंबर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था।

ज्योति ने जमानत देने से इनकार करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

एनआईए ने पहले ही जगताप और अन्य के खिलाफ मुंबई की एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को महाराष्ट्र के पुणे के शनिवारवाड़ा में कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एल्गार परिषद के दौरान लोगों को उकसाने और उत्तेजक भाषण देने से संबंधित है, जिसने कथित तौर पर विभिन्न जाति समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और हिंसा में कई लोगों की जान चली गई।

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