Bhima Koregaon case Supreme Court grants bail to two accused in jail for five years

नई दिल्ली ,28 जुलाई (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी। दोनों अगस्त 2018 से जेल में बंद थे। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दोनों को जमानत दी। उन पर माओवादियों से उनके कथित संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसमें कहा गया है कि दोनों आरोपियों को मुकदमे के लंबित रहने तक पांच साल से अधिक समय तक केवल इस आधार पर सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता कि उन पर गंभीर अपराध का आरोप है।

पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि लगभग पांच साल बीत चुके हैं। हम संतुष्ट हैं कि वे जमानत पाने के हकदार हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि आरोप गंभीर हैं, लेकिन केवल इसी कारण से जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने आदेश दिया कि दोनों आरोपियों को जमानत के दौरान ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना महाराष्ट्र से बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी।

शीर्ष अदालत ने जमानत देने के लिए कई शर्तें लगाईं। इनमें एनआईए के पास पासपोर्ट जमा करना, आईओ के साथ अपना ठिकाना साझा करना और सप्ताह में एक बार एनआईए को रिपोर्ट करना शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जमानत की शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में अभियोजन पक्ष जमानत रद्द करने की मांग के लिए आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र होगा।

इससे पहले पिछले साल दिसंबर में बॉम्बे हाई कोर्ट ने वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को डिफॉल्ट जमानत दे दी थी। हालाँकि, न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन.जे. जमादार की खंडपीठ ने इसी मामले में आठ अन्य सह-आरोपियों के आवेदन को अस्वीकार कर दिया था, जिनमें डॉ. पी. वरवरा राव, सुधीर धावले, रोना विल्सन, अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग, प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसाल्वेस शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में गोंसाल्वेस की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एनआईए को मामले में गिरफ्तार 15 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे को उन आरोपियों से अलग करने के लिए विशेष अदालत में जाने को कहा, जो अभी भी लापता हैं ताकि मामले में मुकदमा शुरू किया जा सके।

आरोपियों को जून-अगस्त 2018 के दौरान पुणे पुलिस की त्वरित कार्रवाई के तहत देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था। बाद में जनवरी 2020 में एनआईए ने सनसनीखेज मामले की जांच अपने हाथों में ले ली थी।

यह मामला 31 दिसंबर 2017 को महाराष्ट्र के पुणे के शनिवारवाड़ा में कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एल्गार परिषद के दौरान लोगों को उकसाने और उत्तेजक भाषण देने से संबंधित है, जिसने विभिन्न जाति समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और हिंसा हुई जिसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र में राज्य व्यापी हिंसा के दौरान जानमाल का नुकसान हुआ।

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