Bengal Recruitment Scam - Partha Chatterjee, Arpita Mukherjee again sent to 14-day judicial custody

कोलकाता ,01 सितंबर (आरएनएस/FJ)। प्रवर्तन निदेशालय की एक विशेष अदालत ने करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती अनियमितता घोटाले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी और उन्हें फिर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

सुनवाई के दौरान चटर्जी और मुखर्जी दोनों सुधार गृहों से वर्चुअल मोड में पेश हुए। न्यायाधीश जीबन कुमार संधू ने फैसला सुनाया कि दोनों अगली सुनवाई के लिए 14 सितंबर को वर्चुअल मोड में ही पेश होंगे।

चटर्जी और मुखर्जी दोनों के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल शारीरिक तौर पर हाजिर होने के इच्छुक हैं। हालांकि, न्यायमूर्ति संधू ने कहा कि सुनवाई में वर्चुअल उपस्थिति किसी भी कीमत पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बाधित नहीं करती है।

चटर्जी के वकील हरधन बंद्योपाध्याय ने स्वास्थ्य और उम्र से संबंधित आधार पर जमानत याचिका दायर की। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जांच एजेंसी के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मामले में बरामद नकदी और संपत्ति के दस्तावेज चटर्जी के थे। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनका मुवक्किल घर में नजरबंद रहने को भी तैयार है।

हालांकि, ईडी के वकील फिरोज एडुल्जी ने अपने जवाबी तर्क में कहा कि मुखर्जी द्वारा चटर्जी के पास नामित विभिन्न जीवन बीमा पॉलिसियां दोनों के बीच संबंध का स्पष्ट प्रमाण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि जीवन बीमा पॉलिसियां अर्पिता मुखर्जी के पास थीं, प्रीमियम भुगतान चटर्जी के बैंक खाते से डेबिट किए गए थे। पॉलिसी दस्तावेजों में चटर्जी को अर्पिता का चाचा बताया गया है।

उन्होंने चटर्जी को एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में भी संदर्भित किया और कहा कि इसलिए उन्हें किसी भी कीमत पर जमानत नहीं दी जाएगी। उन्होंने तर्क दिया, अस्पताल की रिपोर्ट है कि उनके वकील को अदालत में ही पहुंचना था।

लेकिन वे रिपोर्ट चटर्जी तक पहुंच गईं। यह साबित करता है कि वह कितने प्रभावशाली हैं। अंत में दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने जमानत याचिका खारिज कर दी और उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी।

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